आरंग : सावन के पहले सोमवार को छत्तीसगढ़ में मंदिरों के शहर के नाम से प्रसिद्ध धर्मनगरी आरंग शिवमय हो गया है. यहाँ के शिवालयों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी है. यहां के सबसे प्राचीन मंदिरो में से एक बाबा बागेश्वरनाथ मंदिर में भी भक्तों की भारी भीड़ देखी गई. यहाँ पूरे सावन माह के दौरान रोजाना रुद्राभिषेक किया जा रहा है.
कहा जाता है कि वनवास के समय भगवान श्री राम ने बाबा बागेश्वर नाथ मंदिर में रुक कर भोलेनाथ की पूजा की थी. वनवास के दौरान भगवान श्री राम के यहां श्री बागेश्वर नाथ बाबा मंदिर में रुकने के प्रमाण से यह लोगों की आस्था का केंद्र बना हुआ है.
बता दें कि बाल्मीकि रामायण में इस मंदिर का उल्लेख राम वन गमन पथ के रूप में मिलता है. सांस्कृतिक शोध संस्थान व्यास नई दिल्ली के शोध कर्ता डॉ रामअवतार शर्मा के अनुसार भी श्रीराम वनवास के दौरान जिन 249 स्थानों में रुके थे उनमें से एक आरंग के श्री बागेश्वर नाथ मंदिर भी है, जो कि उनकी पुस्तक में “जंह जंह राम चरण चलि जाहि” में 98 नंबर पर उल्लेखित है.
108 खंभों से निर्मित इस मंदिर में 24 खंभे गर्भगृह मंडप के लिए है और शेष 84 खंभों से मंदिर के चारों ओर चार दीवारी बनाई गई है. यह मंदिर पूर्वाभिमुख है. यहां के श्रद्धालु बताते हैं कि सूर्योदय की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह में भोलेनाथ की मूर्ति पर सीधा पड़ती है. मंदिर की एक खासियत यह भी है कि भगवान भोलेनाथ के साथ देवी पार्वती की मूर्ति गर्भगृह में विराजमान हैं. यहां शिवलिंग का विशेष श्रृंगार के साथ पूजा अर्चना प्राख्यात है. इस मार्ग से जब भी आदिगुरू शंकराचार्य गुजरते हैं, भगवान भोलेनाथ का दर्शन करने अवश्य पहुंचते हैं.