धमतरी- गत वर्ष की तुलना में इस साल कुछ दिन विलंब से मानसून का आगमन हुआ है, लेकिन अच्छी बारिश से किसानों काफी खुश हैं. जिले में अब तक जून महीने में हुई बारिश की तुलना में गत वर्ष से 85 प्रतिशत वर्षा हो चुकी है, जिसमें भखारा तहसील में सर्वाधिक 115 मि.मी. बेलरगांव तहसील में न्यूनतम 48 मि.मी. वर्षा हुई है. अच्छी वर्षा होने से किसान खेती-किसानी का कार्य तेजी से कर रहे है.
उप संचालक कृषि ने बताया कि जिले में 140 हज़ार हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है, जिसमें से 85 हजार हेक्टेयर में बोता, लेही एवं 55 हजार हेक्टेयर में रोपाई होती है. इस वर्ष अभी तक 50 से 60 प्रतिशत नर्सरी लग चुकी है तथा 5 प्रतिशत रोपाई कार्य की शुरूआत हो गई है. बोता का 5 प्रतिशत कार्य सम्पन्न हो गया है तथा लेही (लाई-चोपी) हेतु तैयारी चल रही है. विभाग द्वारा जिले में पर्याप्त बीज भण्डारण की व्यवस्था सभी समितियों तथा वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी के माध्यम से की गई है. विभिन्न फसलों धान, रागी, कोदो, अरहर, उड़द, मूंग के बीजों का 17636.02 क्विंटल का भण्डारण तथा 7656 क्विंटल बीज का वितरण किया जा चुका है. ऐसे किसान जो अभी तक बीज की व्यवस्था नही किये हैं, वे समिति/कृषि विभाग से सम्पर्क कर बीज प्राप्त कर सकते हैं. किसान हमेशा प्रमाणित बीजों का उपयोग करें, ताकि बीजो में बीजजनित बीमारी का प्रकोप ना रहे. साथ ही बीज उपचार औषधि तथा 17 प्रतिशत नमक घोल का उपयोग बीज उपचार के लिए भी किया जा सकता है.
उप संचालक ने यह भी बताया कि जिले में उर्वरक भण्डारण यूरिया 18008.20 मीट्रिक टन, सुपर फास्फेट 7251 मीट्रिक टन, पोटाश 1726.70 मीट्रिक टन, डी.ए.पी. 14869 मीट्रिक टन एवं एन.पी.के 3865.80 मीट्रिक टन, इस तरह कुल 45720.70 मीट्रिक टन उर्वरक भण्डारण किया गया है. इसमें 2236320 मीट्रिक टन का अग्रिम उठाव कृषकों द्वारा कर लिया गया है तथा शेष उर्वरक उठाव हेतु बड़ी़े संख्या में किसान समिति में पहुंच रहे है.
उप संचालक कृषि द्वारा जिले के सभी विकासखण्डों में कीटनाशक उर्वरक एवं बीजांे के गुणवत्ता जाँच हेतु निरीक्षकों की नियुक्ति की गई है, जो कि निजी एवं सहकारी संस्था से विधिवत बीज, खाद एवं कीटनाशकों का नमूना लेकर प्रयोगशाला भेजते हैं. प्रयोगशाला से परिणाम मानक आने पर ही विक्रय एवं वितरण हेतु उपयुक्त माना जाता है तथा अमानक आने की स्थिति में वितरण, भण्डारण एवं विक्रय पर प्रतिबंध लगा दी जाती है. किसानों को स्पष्ट निर्माण एवं अवसान तिथि देखकर सीलबंध पॅकिंग का उर्वरक, बीज एवं कीटनाशक खरीदने की सलाह दी जाती है. कृषकों को जैविक कीटनाशकांे तथा गोठान से उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का अधिक से अधिक उपयोग करने की सलाह दी गई है.
ऐसे कृषक जो अभी तक नर्सरी नही लगाए हैं वे मौसम खुलते ही नर्सरी डाले तथा रोपा लगाने वाले कृषको को सलाह दी जाती है कि वे धान की रोपाई के पूर्व पौध के जड़ो का कीटनाशी तथा फफूंद नाशी से उपचार कर ही रोपाई करें. अधिक नमी वाले खेतों में पाटा चलाकर अच्छे से मताई कार्य करने तथा धान की बोआई लेही (लाई-चोपी) विधि से करने की सलाह किसानों को दी गई है. अरहर, मूंग, उड़द, तिल बोआई करने वाले किसानों को उक्त बीजों की व्यवस्था करने का सुझाव दिया गया है तथा सम-सामयिकी सलाह के लिए क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क किया जा सकता है.