
“आयरन ओर खदान आरी डोंगरी” में करोड़ों के घपले
IAS सहित कई अफसरों पर IT-ED का शिकंजा
रायपुर : छत्तीसगढ़ में ED की छापेमारी जारी है. सूत्रों के मुताबिक ED की लगभग चार टीम बस्तर पहुंची है. सूत्रों के मुताबिक आदिवासी अंचल बस्तर में माइनिंग माफियाओं के काले कारनामे के साथ DMF फंड के भौतिक सत्यापन का जायजा लेने के लिए केंद्रीय एजंसियों को दिल्ली से सीधे बस्तर भेजा गया है. यहाँ खनन घोटाले और DMF फंड के दुरुपयोग की शिकायतें सामने आयी है. सूत्रों का दावा है कि DMF फंड के दुरुपयोग को लेकर सिर्फ अभी रायगढ़ कलेक्टर रानू साहू से पूछताछ की जा रही है. इसमें अखिल भारतीय सेवाओं के चार अधिकारी और दो प्रमोटी IAS कतार में है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य सरकार के छत्तीसगढ़ माइनिंग कार्पोरेशन की संदिग्ध गतिविधिओं का परीक्षण किया जा रहा है. इसके लिए कुछ बड़ी टीम बस्तर, कांकेर और भानुप्रतापपुर भेजी गई है. भानुप्रतापपुर में भरपूर मात्रा वाली आयरन ओर की “आरी डोंगरी” खदान को औने-पौने दाम में सत्ताधारी दल के एक नेता को आबंटित किये जाने की पड़ताल शुरू हो गई है.
बताते है कि इस खदान आबंटन की प्रक्रिया पूरी तरह से अपराधिक दायरे में है. माइनिंग विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने कायदे कानूनों का उल्लंघन कर किसी खास व्यक्ति को सीधे तौर पर फ़ायदा पहुंचाया था. इसके लिए पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनायी गई. पूर्व निर्धारित ऑनलाइन प्रक्रिया को कोल परिवहन घोटाले की तर्ज पर ऑफलाइन किया गया. सूत्रों की माने तो बलपूर्वक हासिल की गई आरी डोंगरी खदान आबंटन की हकीकत IAS अधिकारी JP मौर्य ने ED से साझा की है. इसकी तस्दीक गिरफ्तार IAS अधिकारी समीर विश्नोई ने भी की है. बताया जाता है कि इस मामले में अन्य IAS अधिकारियों के लपेटे में आने के आसार बढ़ गए हैं.
“आरी डोंगरी आयरन ओर” खदान कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर तहसील के कचही गांव के अंतर्गत आती है. यह खदान 167 हेक्टेयर भूभाग से ज्यादा इलाके में फैली हुई है. दावा है कि इसे RG की किसी कंपनी को आबंटित करने का फैसला राज्य सरकार ने किया था. छत्तीसगढ़ मिनरल्स डेवलपमेंट कारपोरेशन CMDC ने इसके तहत कई बार टेंडर निकाले और किसी न किसी कारण से फिर टेंडर निरस्त कर दिए थे.
यह भी बताया जा रहा है कि आदिवासी इलाको में अरबों का DMF फंड अधिकारियों ने ही डकार लिया. दंतेवाड़ा समेत अन्य इलाको में DMF फंड का बड़े पैमाने पर घोटाला सामने आया है. बस्तर के अलावा कोरबा, चांपा-जांजगीर समेत अन्य जिलों में भी गड़बड़ी सामने आई है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने बड़ी रकम बगैर कार्य कराए अपनी जेब में डाल ली. सरकारी अभिलेखों में इस रकम का कोई ब्यौरा दर्ज नहीं किया गया है. उन अफसरों को अपने कार्यकाल में रकम वापसी का पर्याप्त मौका भी मिला था. लेकिन अधीनस्थ अफसरों द्वारा यह तथ्य संज्ञान में लाये जाने के बावजूद सरकारी रकम की वापसी नहीं की गई. फिलहाल IT-ED के संयुक्त प्रयास से छत्तीसगढ़ में जांच अधिकारी धनशोधन और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में बड़ी कामयाबी की ओर बढ़ रहे है.