
भारत का बासमती चावल पूरी दुनिया में मशहूर है. बासमती चावल कश्मीर से लेकर दक्षिण भारत तक उगाया जाता है. चावल विभिन्न रंगों, सुगंधों, छोटे, मध्यम और लंबे दानों के आकार में पैदा होता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने अमेरिकी दौरे पर राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी वाइफ जिल बाइडेन को कुछ उपहार दिए. इन उपहारों में उत्तराखंड का बासमती चावल भी शामिल है. आइए जानते हैं उत्तराखंड का बासमती चावल में खास क्या है.
उत्तराखंड का बासमती चावल क्यों प्रसिद्ध है?
उत्तराखंड का बासमती चावल अपनी सुगंध और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है. यह चावल 19वीं सदी में अफगानिस्तान के कुनार प्रांत से भारत आया था. अफगानिस्तान के राजा को अंग्रेजों ने निर्वाचित कर दिया था. वह देहरादून में रहते थे. इसलिए उनके दैनिक आहार में यह चावल शामिल था. माना जाता है कि इस क्षेत्र में इस चावल का उत्पादन शुरू हुआ था.
1840 में प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के बाद अंग्रेजों ने गजनी और दोस्त मोहम्मद खान पर विजय प्राप्त की. 1842 में दोस्त मुहम्मद खान ने अपने राज्य पर दोबारा कब्जा कर लिया. लेकिन दूसरे आंग्ल-अफगान युद्ध के बाद दोस्त मोहम्मद खान अफगानिस्तान से बाहर निकलने में कामयाब हो गए.
दोस्त मोहम्मद 1879 में देहरादून आए. वे बासमती पुलाव के बड़े शौकीन थे. वह अफगानिस्तान से बासमती चावल को देहरादून की दून घाटी लाए. इससे स्थानीय चावल की गुणवत्ता में सुधार हुआ. उत्तराखंड के देहरादून का चावल दुनिया में कहीं और नहीं पाया जाता है. यही कारण है कि इसके जल्द ही गायब होने की संभावना है. इसी दृष्टि से उत्तराखंड सरकार इस बासमती को बचाने में जुटी है.
भारत में चावल उत्पादन
भारत में पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्से बासमती चावल उत्पादन के लिए जाने जाते हैं. बासमती चावल में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है. अकेले भारत दुनिया को 65 फीसदी बासमती चावल की आपूर्ति करता है.