WPI Inflation : मई महीने में भारत की थोक महंगाई दर (WPI) तीन साल के निचले स्तर पर आ गई. खुदरा महंगाई दर के घटने की खबर के बाद आज थोक महंगाई दर के भी घटने की खबर आई है. सरकार द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक, पिछले महीने थोक महंगाई दर में सालाना आधार पर 3.48 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली. अप्रैल में भी थोक महंगाई दर में 0.92 फीसदी का संकुचन देखने को मिला था यानी नए वित्त वर्ष के पहले दो महीने में थोक महंगाई दर में निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली है. साल 2020 के जून महीने के बाद ये दूसरी बार सबसे कम लेवल पर आई है. इससे पहले मई, 2020 में थोक महंगाई दर- 3.37 फीसदी पर थी.
जानकारी के अनुसार वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के उद्योग व आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति मई में 3.48 प्रतिशत घटी जबकि अप्रैल में इसमें 0.92 प्रतिशत की गिरावट आई थी. मई में थोक खाद्य कीमतों में 1.59% की गिरावट आई, जबकि ईंधन और बिजली में 9.17% की गिरावट आई. मई, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेलों, बुनियादी धातुओं, खाद्य उत्पादों, वस्त्र, गैर-खाद्य वस्तुओं, कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस और रसायन और रासायनिक उत्पादों की कीमतों में गिरावट के कारण आई है.
इस वजह से कम हुई महंगाई
सरकार की ओर से जारी एक प्रेस रिलीज में कहा गया है कि मिनरल ऑयल, बेसिक मेटल, फूड प्रोडक्ट्स, टेक्सटाइल, नॉन-फूड ऑर्टिकल, क्रूड पेट्रोलियम और नेचुरल गैस के साथ-साथ केमिकल एवं केमिकल प्रोडक्ट्स की कीमत में गिरावट से महंगाई दर में नरमी दर्ज की गई.
खाने-पीने के सामान हुए सस्ते
मई महीने में फूड इंडेक्स की महंगाई दर में 1.59 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ देखने को मिली. वहीं, प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर में 1.79 फीसदी की निगेटिव ग्रोथ दर्ज की गई.
मई महीने में ईंधन एवं बिजली की महंगाई में 9.17 फीसदी की कमी देखने को मिली. इसी बीच मैन्यूफैक्चर्ड उत्पादों की महंगाई दर में भी 2.97 फीसदी की कमी देखे को मिली.
भारत की खुदरा महंगाई दर में भी आई नरमी
मई महीने में भारत की खुदरा महंगाई दर घटकर दो साल के निचले स्तर पर आ गई. पिछले महीने खुदरा महंगाई दर 4.25 फीसदी पर रही जो अप्रैल महीने में 4.7 फीसदी पर रही थी. इस तरह मई महीने में भी खुदरा महंगाई दर का आंकड़ा आरबीआई के टॉलरेंस लेवल में रहा. खाने-पीने के सामान एवं ईंधन की कीमतों में नरमी की वजह से खुदरा महंगाई 2-6 फीसदी के आरबीआई के टॉलरेंस लिमिट में आ गई. केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के दौरान खुदरा महंगाई दर के आंकड़े पर गौर करता है.