
World No Tobacco Day : सेहत के लिए तंबाकू का सेवन जानलेवा हो सकता है. तंबाकू या धूम्रपान व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही शारीरिक सेहत पर भी नकारात्मक असर डालता है. हालांकि ये बात जानते हुए भी दुनियाभर में बड़ी संख्या में लोग किसी न किसी रूप से तंबाकू का सेवन कर रहे हैं. लोगों में बीड़ी, सिगरेट और गुटखा आदि के सेवन से कई तरह की बीमारियां होने का खतरा बढ़ जाता है.
धूम्रपान करने से धमनियां कमजोर होने लगती हैं और कोरोनरी हार्ट डिजीज और स्ट्रोक हो सकता है. कुछ अध्ययनों में पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर बढ़े हार्ट अटैक के लिए धूम्रपान को भी एक संभावित कारक बताया गया है. इसके अलावा तम्बाकू का उपयोग से कैंसर या फेफड़े की बीमारी भी हो सकती है.
ऐसे में लोगों को तंबाकू के सेवन से रोकने के लिए इससे होने वाले नुकसान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से प्रति वर्ष दुनियाभर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस यानी वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया जाता है. तंबाकू निषेध दिवस मनाने की जरूरत कब और क्यों महसूस की गई, वहीं इस दिन का महत्व आदि के बारे में जानकर दूसरों को भी जागरूक किया जा सकता है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास
दरअसल, तंबाकू के सेवन से होने वाली मौतों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 1987 में तंबाकू निषेध दिवस मनाने का फैसला लिया. अगले वर्ष यानी 1988 में पहली बार विश्व तंबाकू निषेध दिवस अप्रैल माह में मनाया गया. हालांकि बाद में इसे मनाने के लिए मई माह में एक तारीख निर्धारित की गई.
कब मनाया जाता है तंबाकू निषेध दिवस
हर वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को मनाया जाता है. 1988 में मई के आखिरी दिन इसे मनाने के लिए एक प्रस्ताव पास हुआ था. जिसके बाद से हर साल 31 मई को तंबाकू के सेवन को रोकने और इससे होने वाली समस्या से जागरूक करने के लिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाने लगा.
तंबाकू निषेध दिवस 2023 की थीम?
विश्व तंबाकू निषेध दिवस की हर साल एक विशेष थीम तय होती है. इस वर्ष की थीम काफी खास है. विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2023 की थीम ‘वी नीड फूड-नॉट टोबैको’ है. इस थीम का उद्देश्य तंबाकू किसानों को वैकल्पिक फसल उत्पादन के बारे में जागरूक करना है.
तंबाकू के सेवन से बीमारियों का खतरा
विशेषज्ञों के मुताबिक, तंबाकू के सेवन से कई गंभीर और जानलेवा बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. फेफड़ों में कैंसर, लिवर कैंसर, मुंह का कैंसर, कोलन कैंसर और गर्भाशय का कैंसर होने का जोखिम रहता है. इसके अलावा हृदय रोग और इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसी बीमारियां भी हो सकती हैं.