
सभी चाहते हैं कि अपने घर में शांति के साथ बैठ सकें, अपनी दिनचर्या को निश्चिंत होकर पूरा करें. कोई नहीं चाहता कि खून-खराबा हो. पर सियासी लोग ऐसा नहीं होने देना चाहते. मीडिया भी अब सियासी जुबान बोलने लगी है. कहीं कोई घटना घटी नहीं कि सियासतदान और मीडिया उसके निष्कर्ष निकालकर फैसला सुनाने लगते हैं. घटना की जांच का काम जिसका है, उसे करने दें. कानून को अपना काम करने दें. उक्त बातें शहर के इमाम ऐहतेशाम रजा ने कहीं. वे गंजपारा के ईदगाह मैदान में आयोजित ईद के जश्न के मौके पर छत्तीसगढ़ आजतक से चर्चा कर रहे थे.
बिरनपुरसहित देशभर में हो रही हिंसक घटनाओं पर बेबाक बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म के नाम पर सियासत नहीं करनी चाहिए. अपने कार्यकर्ताओं के बलबूते काम करें, अपना काम दिखाकर राजनीतिकरें धर्म पर राजनीति न करें. पर ऐसा हो नहीं पा रहा है क्योंकि काम कोई करतानहीं. इसलिए धर्म के नाम पर राजनीति अबइनकी मजबूरी बन चुकी है. इसे सभी जानते और समझते भी हैं. हिन्दू धर्म के लोग बहुसंख्यक हैं इसलिए उन्हें रिझाने के लिए हर घटना को सियासी रंग दिया जा रहा है. पर यह अच्छी सियासत नहीं है. अगर सियासत का आधार ही गलत होगा तो मुल्क तरक्की नहीं कर पाएगा.
इमाम एहतेशाम रजा ने कहा किजब-जब अमन चैन बनाए रखने के लए जरूरत पड़ती है धार्मिक गुरू भी सामने आते हैं और अपने मानने वालों को समझाते भी हैं. वे अमन चैन कायम करने की कोशिश करते हैं. पर सियासतदान इसमें सहयोग नहीं करते. उन्हें तो अपनी सियासत चलानी है. धार्मिक गुरुओं में भी कुछ ऐसे हैं जो सियासत में आ गए हैं. यातो उन्हें खरीद लिया गया है या फिर उनकी जुबान खरीद ली गई है. ऐसे धार्मिक गुरू लोगों को बरगलाते हैं. वो वही बोलते हैं जो उनके सियासी आका कहते हैं. उन्हें सोचना चाहिए कियदि सही मायने में वे इंसानियत की खिदमत करना चाहते हैं तो सियासी जुबान न बोलें. धार्मिक गुरू इंसानियत का पैगाम फैलाएं, अमन चैन की बात करें.
मीडिया के रोल पर एक सवाल का जवाब देते हुए इमाम ने कहा कि मीडिया अपनी पहले वाली भूमिका को भूल चुकी हैं. वह भी सोशल मीडिया के साथ चल रही है. अपुष्ट खबरें दिखा रही है. आरोपियों का मीडिया ट्रायल हो रहा है. मीडिया अब अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर रही है, नहीं कर पा रही है. मीडियाको जनता के लिए आवाज उठानी चाहिए. उसे सरकार से कामकाज का हिसाब मांगना चाहिए. इसकी एक ही वजह है कि अब मीडिया भी सियासी हो गई है. वह अपना काम छोड़कर नेताओं का काम कर रही है.
समाज की भूमिका पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जनताको अपनी अपेक्षाओं को मार्जित करना होगा, नेताओं से और सरकार से उसे केवल कामकाज का हिसाब मांगना चाहिए. समाज उनकी साम्प्रदायिक सियासत मॅनउलझें. उनसे साफ कहें कि हमें हिन्दू मुसलमान, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान की बात नहीं करनी है. इस पर सियासत करने वाले की बातें नहीं सुनी जानी चाहिए हमें तरक्की की, विकास की बातें करनी है.
शहर में अमन चैन कायम करने के लिए अपने सुझाव देते हुए इमाम ऐहतेशाम रजा कहा कि सभी समझदार लोगों का फर्ज है कि वे लोगों को समझाएं कि लड़ाई झगड़े से न तो उन्हें कोई फायदा होगा और न ही उनका शहर तरक्की कर पाएगा. अपनी और अपने आसपास के लोगों की भलाई के लिए सोचें. इससे अमन चैन कायम रखने में मदद मिलेगी. सियासतदानों की बातें सुनेंगे तो आपका और शहर का नुकसान ही होगा.
बेमेतरा के बिरनपुर में हुई घटना पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि घटना को अनावश्यक तूल दिया गया. पुलिस वहां अपना काम कर रही थी. लोगों को अटकलबाजी से परहेज करना चाहिए थे और अपुष्ट खबरों के आधार पर नतीजे नहीं निकालने थे. कायदे से यह पुलिस की जांच का विषय था. पर आजकल होता यह है किघटना घटते ही सियासतदान तत्काल फैसला सुना देते हैं. उन्होंने इसे हिन्दू मुसलमान की लड़ाई बताकर राजनीतिक रोटी सेंकने की कोशिश की और मीडिया ने भी इसमें उसका साथ दिया. जांच करना पुलिस का और फैसला सुनाना अदालतकाकाम है. यह काम नेताओं या मीडियाका नहीं है. बहुत से मसले जाती भी होते हैं, उन्हें धार्मिक रूप देकर माहौल नहीं खराब करना चाहिए. ईदगाह मैदान में आयोजित इस कार्यक्रम में दुर्ग विधायक अरुण वोरा, महापौर धीरेन्द्र बाकलीवाल, पूर्व महापौर आरएन वर्मा, दुर्ग मस्जिद के मुतवल्ली रिजवान खान, नायब सदर जाकिर हुसैन, सचिव शेख शकील, मोहसिन भाई, कवरेज खान, रियाज भाई, जावेद हुसैन, सर्वधर्म सभा के महासचिव बचन सिंह, मानव एकता समिति के कोषाध्यक्ष देवेन्दर साहू, कम्युनिटी चर्च के फादर अर्पण तरूण, अधिवक्ता आरबी शर्मा सहित सभी धर्मो के लोग बड़ी संख्या में मौजूद थे. वरिष्ठ शिक्षाविद आईपी मिश्रा भी इस आयोजन में शामिल होने वाले थे पर अस्वस्थता के चलते उनका आना संभव नहीं हो पाया.