
खेतों के गर्भ में 80 मीटर नीचे दबे हैं भंडार, आधुनिक जीवन का सफेद सोना है यह धातु
डॉ. डी.पी. देशमुख-
छत्तीसगढ़ के कटघोरा जिले के ग्राम महेशपुर, रामपुर और नवागांव में लिथियम के बड़े भंडार मिले हैं. खुदाई के दौरान यहां के दर्जन भर खेतों में जमीन से लगभग 80 मीटर नीचे तक आधुनिक काल के इस ‘सफेद सोना’ का पता चला है. इससे पहले जम्मू कश्मीर में लिथियम के भंडार मिले थे, जिसके बाद भारत को लिथियम वाले तीसरे सबसे बड़े देश का दर्ज मिल गया था. छत्तीसगढ़ में लिथियम की उपलब्धता का पता लगने के बाद उसकी स्थिति और मजबूत हुई है.
खेतों में जमीन से लगभग 0 से 80 मीटर तक खुदाई के दौरान लिथियम खनिज मिलने की पुष्टि हुई है. इसी तरह रामपुर में जहां जलाशय निर्माण के लिए चिन्हांकित किए गए स्थल में भी प्रचुर मात्रा में लिथियम पाए जाने के संकेत मिले हैं. जिस पैमाने पर लिथियम भंडारण मिलने की पुष्टि हो रही है, उसे देखते हुए आने वाले दिनों में सर्वे का दायरा बढ़ाया जा सकता है. दुनिया भर में बढ़ रही लिथियम की मांग ने छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षा बढ़ा दी है. प्रदेश सरकार कटघोरा की पहाड़ियों पर पाए गए लिथियम के ब्लॉक को नीलाम करने की प्रक्रिया पर काम कर रही है. प्रदेश सरकार की ओर से एक प्रस्ताव बनाकर केंद्र सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है.
सलाल कोटली से कटघोरा तक
भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम को जम्मू कश्मीर के रियासी जिले के सलाल कोटली गांव की 6 हेक्टेयर जमीन में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला था. यह भंडार सतह से 20 मीटर नीचे तक उपलब्ध है. इसका घनत्व 500 पीपीएम से अधिक है. इस भंडार की कुल कीमत आज की कीमत पर लगभग 3334 अरब रुपए होगी. छत्तीसगढ़ के कटघोरा क्षेत्र के 18-19 गांव में भूगर्भीय सर्वेक्षण के दौरान महेशपुर, नवागांव और रामपुर के कई स्थानों में लिथियम का भंडार पाया गया है. यहां जमीन की सतह से 80 मीटर नीचे तक लिथियम मिला है. अन्यान्य देशों में मिला लिथियम सामान्यतः 220 पीपीएम ग्रेड का है.
इन क्षेत्रों में होता है इस्तेमाल
लिथियम एक तरह का रेयर एलिमेंट है. इसका इस्तेमाल मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिकल व्हीकल समेत दूसरे चार्जेबल बैटरी को बनाने में किया जाता है. यह एक नरम और चांदी जैसी सफेद धातु है जिसका इस्तेमाल थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शन में भी किया जाता है. एल्युमीनियम-लिथियम मिश्र धातु का उपयोग एयरक्राफ्ट और हाई स्पीड ट्रेनों में भी किया जाता है. मूड स्विंग और बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी बीमारियों के इलाज में भी लिथियम का इस्तेमाल किया जाता है.
दुनिया में कहां, कितना लिथियम
भारत अपनी जरूरत के 96% लिथियम का आयात चीन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, चिली, अर्जेंटीना और बोलीविया से करता है. एक टन लिथियम की कीमत लगभग 57.36 लाख रूपए है. इसमें काफी विदेशी मुद्रा खर्च होती है. लिथियम का सबसे बड़ा भंडार चिली में 93 लाख टन का है. इसके बाद क्रमशः ऑस्ट्रेलिया – 63 लाख टन, अर्जेंटीना – 27 लाख टन और चीन – 20 लाख टन आते हैं. कश्मीर में 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है, इसमें छत्तीसगढ़ के भंडार शामिल नहीं है.
इसलिए महत्वपूर्ण है खोज
भारत ने साल 2070 तक अपने उत्सर्जन को पूरी तरह एनवायरमेंट फ्रेंडली करने का संकल्प लिया है. इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी में लिथियम एक महत्वपूर्ण घटक है. सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अनुसार देश को साल 2030 तक 27 ग्रिड-स्केल बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम के लिए भारी मात्रा में लिथियम की जरूरत पड़ेगी. अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी IEA का अनुमान है कि साल 2025 तक दुनिया को लिथियम की कमी का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में भारत में लिथियम का भंडार मिलना पूरी दुनिया के लिए खुशखबरी है.
कोरबा जिले के कटघोरा ब्लॉक के महेशपुर और उससे लगे कुछ गांव में लिथियम रिजर्व की पुष्टि हुई है. कितनी मात्रा है, किस गहराई के हैं, रिकवरेबल कितना है, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है. अच्छे परिणाम आने से यहां से उत्खनन हो सकता है.
संजीव झा, कलेक्टर, कोरबा