
केन्द्र के दावों की खुल सकती है पोल, पांच बार टल चुकी है सेन्सस की तारीख
लोकसभा 2024 से पहले संभावना क्षीण, पीएम आवास बनाम बीपीएल भी मुद्दा
छत्तीसगढ़ आजतक-
छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह बार-बार पीएम आवासों का मुद्दा उठा रहे हैं. वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसके जवाब में उनसे जनसंख्या के आंकड़े मांगे हैं. उन्होंने साफ-साफ कहा है कि क्या पता गरीबों की संख्या घट गई हो, क्या पता गरीबों की संख्या बढ़ गई हो. मामला सिर्फ पीएम आवासों का नहीं है. जनगणना से ही यह भी पता लगेगा कि गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले कितने हैं. कोरोना काल के बाद लोगों की स्थिति कैसी है. आबादी में अलग-अलग जाति धर्म, वर्ग, आर्थिक स्थिति के लोगों की आबादी कितनी-कितनी है. 2018 में केन्द्र सरकार ने मतगणना में जाति को शामिल करने का वादा किया था. यही अब उसके गले का फांस बन गई है. जातिगत जनगणना से सामने आने वाले संभावित आंकड़े उसे डरा रहे हैं.
देश में जनगणना की शुरुआत 1881 में की गई थी. इसके बाद से प्रत्येक 10 वर्ष में जनगणना होती रही है. 150 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि जनगणना अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है. 81 साल पहले 1941 में अंतिम बार सेंसस अपने तय समय से पिछड़ा था, तब दुनिया में द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था. हालांकि तब भी समय पर ही सर्वे करके डेटा जुटाया गया था, लेकिन इस डेटा को व्यवस्थित करने में वक्त लग गया था. जबकि 2021 में होने वाली जनगणना की तारीख 5वीं बार बढ़ाई गई है. जनगणना प्रक्रिया की तारीख 31 दिसम्बर 2019 से 31 मार्च 2021, फिर 31 दिसम्बर 2022 और अब 30 जून 2023.
ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार एंड सेंसस ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर 30 जून 2023 तक प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज करने के लिए कहा है. सीमाएं फ्रीज होने के 3 महीने बाद ही जनगणना की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. प्रक्रिया शुरू भी हुई तो यह 2024 के आरंभिक महीनों तक पहुंच जाएगी. इस बीच 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इस गहमागहमी के बीच लगता नहीं है कि जनगणना का कार्य पूरा हो पाएगा.
1961 के भारत-चीन जंग हो और 1971 में बांग्लादेश को अलग करने के लिए पाकिस्तान से युद्ध के दौरान भी जनगणना समय पर हुई थी. अमेरिका में कोरोना पीक पर होने के बावजूद 2020 में जनगणना कराई गई. यूके, इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और आयरलैंड ने भी कोरोना लहर के दौरान तय समय में डेटा जुटाना शुरू कर दिया था. चीन ने भी समय पर जनगणना करा लिया. संयुक्त राष्ट्र भी समय पर जनगणना को बेहद जरूरी मानता है.
इसलिए जरूरी है समय पर जनगणना
हर 10 साल में जनगणना होने पर डेटा का तुलनात्मक अध्ययन करना आसान होता है. जनगणना में विलंब के चलते 10 करोड़ से ज्यादा लोगों को खाद्य सुरक्षा कानून का लाभ नहीं मिल रहा है. 2011 की जनगणना के आधार पर वर्ष 2013 में 80 करोड़ लोग फ्री में राशन लेने के योग्य थे. 2020 में यह आंकड़ा 92.2 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है.
देश में अंतिम जनगणना 2011 में हुई थी, तब जनसंख्या 121 करोड़ से ज्यादा थी. 2001 से 2011 के बीच भारत की आबादी लगभग 18 फीसदी बढ़ी थी. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2023 में भारत की आबादी चीन से ज्यादा हो जाएगी. 2050 तक चीन की आबादी 131 करोड़ तो भारत की आबादी 166 करोड़ होने का अनुमान है.
केन्द्र के डर की ये हो सकती है वजह
- केन्द्र का सबसे बड़ा डर जनगणना में ओबीसी को शामिल करने को लेकर है. बिहार, यूपी, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में राजनीतिक दल जाति आधारित जनगणना की मांग कर रहे हैं. 2024 चुनाव से पहले जनगणना में जाति गणना शामिल नहीं होती है तो ओबीसी समुदाय नाराज हो सकता है. एक बड़ा वोट बैंक खिसक सकता है. 2018 में केंद्र सरकार ने 2019 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए ओबीसी जनगणना करने का वादा किया था. अब सरकार का रुख बदल गया है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामे दायर कर कहा है कि जाति गणना संभव नहीं है.
- दूसरे, भाजपा एक समुदाय विशेष की बढ़ती आबादी और उसके प्रजनन दर को लेकर उसपर हमले करती रहती है. हो सकता है कि 2021 के आंकड़े इन आरोपों की पुष्टि न करते हों. इससे बहुसंख्यक राजनीति कर रही भाजपा के हाथ से एक बड़ा मनोवैज्ञानिक हथियार छिन सकता है.
- तीसरा कारण यह भी हो सकता है कि केन्द्र सरकार ने विकास के जिन आंकड़ों का खूब प्रचार किया है, जनगणना के आंकड़े कहीं उन्हें झुठला न दें. इसी तरह विभिन्न गैर भाजपा शासित राज्यों को लेकर किये गये उसके दावे और आरोपों के भी खोखले साबित हो जाने का खतरा है.
जनगणना पर छत्तीसगढ़ में रार
छत्तीसगढ़ में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कांग्रेस सरकार पर 16 लाख लोगों को पीएम आवास योजना से वंचित करने का आरोप लगाया है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि जनगणना तो हुई नहीं, डॉ रमन सिंह बताएं कि ये आंकड़े कहां से आए. भूपेश ने कहा कि जनगणना का 2021 का डेट निकल गया. हो सकता है कि ये आंकड़ा 16 नहीं 18 लाख हो. यह भी हो सकता है यह 16 लाख से कम हो. केन्द्रीय ग्रामीण मंत्रालय ने साल 2021-22 के लिए राज्य को आवंटित 7 लाख 81 हजार 999 मकान बनाने का लक्ष्य वापस ले लिया था. यह बात और है कि छत्तीसगढ़ को इसी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दो-दो पुरस्कार मिले हैं.