
इतिहास: खारून नदी किनारे तरीघाट में थी राजा जगतपाल द्वारा बसाई गई बस्ती
हेमंत कश्यप-
लूडो बहुत लोकप्रिय खेल है. बच्चों से लेकर बड़े तक इस खेल को पसंद करते हैं. छत्तीसगढ़ में यह खेल लगभग ढाई हजार साल पहले भी खेला जाता था. राजधानी रायपुर से 32 किमी दूर खारुन नदी किनारे तरीघाट में पंद्रह एकड़ में जमींदोज बस्ती मिली है. पुरातत्व विभाग को उत्खनन के दौरान यहीं पर ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी का लूडो मिला है. जिसे पुरातत्व संग्रहालय तरीघाट में संरक्षित किया गया है. छग राज्य के दुर्ग जिला के पाटन जनपद अंर्तगत खारुन नदी किनारे तरीघाट ऐतिहासिक गांव है. बस्ती में लगे टीला में पुरानी बस्ती के अवशेष वर्षों से बिखरे पड़े हैं. वर्ष 2012-14 में पुरातत्ववेत्ता जे आर भगत ने इस इलाके का सर्वे कर खुदाई शुरू किया था. यह कार्य कोरोना काल से स्थगित है. इतिहासकार बताते हैं कि लगभग ढाई हजार साल पहले यहां जागतपाल का राज्य था. स्थल खुदाई के दौरान ही जेआर भगत को करीब दो सेमी मोटा (चौकोर) लूडो मिला. उन्होने बताया कि यह लूडो गोटी कच्ची मिट्टी से तैयार कर आग में पकाया गया है.
ज्ञात जानकारी के अनुसार यह लूडो गोटी ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी की है. जिसे तरीघाट स्थित संग्रहालय में ही सहेज कर रखा गया है. जे आर भगत द्वारा जारी सर्वे रिपोर्ट 2015 में तरीघाट खनन क्षेत्र से प्राप्त सामानों की सूची और तस्वीरें भी जारी की है. जिसमें लूडो गोटी काफी महत्त्वपूर्ण है, लेकिन इस पुरातन खेल को ढाई हजार साल पहले छत्तीसगढ में भी खेला जाता था. इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई थी न ही इस तथ्य को अब तक प्रकशित किया गया था.