
रायपुर : केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के सुगंधित धान की किस्म नगरी दुबराज को जीआई टैग प्रदान कर दिया है. जिसके लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट कर बधाई दी है.
बता दें कि तीन साल पहले राज्य के जीरा फूल को जीआई टैग मिला था. अब नगरी दुबराज छत्तीसगढ़ के सुगंधित धान की दूसरी किस्म है जिसे जीआई टैग प्रदान किया गया है. इसके अलावा मध्यप्रदेश के रीवा के सुंदरजा आम और मुरैना की गजक को जीआई टैग से नवाजा गया है.
इस महिला के समूह ने की थी शुरुआत
जीआई टैग के लिए धमतरी के बगरूमनाला गांव के मां दुर्गा स्वसहायता समूह की अध्यक्ष प्रेमबाई कुंजाम ने वर्ष 2019 में आवेदन किया था. इस समूह के फेसिलिटेटर के रूप में कृषि विवि रायपुर से डा. दीपक शर्मा, नोडल आफिसर पीपीवी और एफआरए ने रजिस्ट्रार जियोग्राफिकल इंडिकेशन के समक्ष नगरी दुबराज पर प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया. नगरी दुबराज को छत्तीसगढ़ में बासमती भी कहा जाता है, क्योंकि छत्तीसगढ़ के पारंपरिक भोज कार्यक्रमों सुगंधित चावल के रूप में दुबराज चावल का प्रयोग किया जाता है.
नगरी दुबराज की उत्पत्ति सिहावा के श्रृंगी ऋषि आश्रम क्षेत्र को माना गया है, क्योंकि त्रेता युग में भगवान श्रीरामजी के जन्म होने से संबंध बताया गया है. राजा दशरथ ने पुत्रेष्ठि प्राप्ति के लिए श्रृंगि ऋषि द्वारा यज्ञ करवाया था. इसका वर्णन वाल्मीकि रामायण में भी किया गया है. विभिन्न शोध पत्रों में भी दुबराज का स्रोत नगरी सिहावा को ही बताया गया है. बैठक में विशेषज्ञों द्वारा इस प्रकार से संकलित दस्तावेजों का प्रमाण होने पर सराहना की.
नगरी के लोग ही इसे उगा पाएंगे
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने बताया कि अभी दूसरे राज्य के लोग भी नगरी दुबराज के नाम से बेचते हैं. अगर नगरी दुबराज को जीआई टैग मिल गया है तो इस नाम से सिर्फ नगरी के लोग ही यह धान उगा पाएंगे. दूसरा इस नाम का उपयोग नहीं करेगा. ऐसे करने पर कानूनन कार्रवाई हो सकती है.
किसानों को होगा यह फायदा
धान के मामले में राज्य की पहचान बढ़ेगी, नगरी के किसानों को फायदा होगा, किसान अच्छे से इसकी खेती करेंगे, इस वजह से विलुप्त होने का डर नहीं होगा, दुबराज के नाम पर लोग भ्रमित नहीं होंगे, सही प्रोडक्ट खरीद सकेंगे.
क्या होता है जीआई टैग
किसी भी रीजन का जो क्षेत्रीय उत्पाद होता है उससे उस क्षेत्र की पहचान होती है. उस उत्पाद की ख्याति जब देश-दुनिया में फैलती है तो उसे प्रमाणित करने के लिए एक प्रक्रिया होती है जिसे जीआई टैग यानी जीओ ग्राफिकल इंडीकेटर कहते हैं. जिसे हिंदी में भौगोलिक संकेतक नाम से जाना जाता है.
संसद ने उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर 1999 में अधिनियम पारित किया. जिसे अंग्रेजी में Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999 कहा गया. इसे 2003 में लागू किया गया. इसके तहत भारत में पाए जाने वाले प्रॉडक्ट के लिए जी आई टैग देने का सिलसिला शुरू हुआ.
बता दें कि, छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी दुबराज धान की एक अलग ही पहचान है. दुबराज धान की खासियत ये है कि यह काफी सुगंधित होती है. इस किस्म की बाजार में काफी अच्छी मांग है और इसे लोग चाव से खाना पसंद कर रहे हैं. यह धान औसतन 140 दिन में पक कर तैयार हो जाती है.