
जगदलपुर : बस्तर का नैसर्गिक सौंदर्य इन दिनों नक्सली आतंक पर भारी पड़ रहा है. बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर में इन दिनों पर्यटकों की भीड़ उमड़ रही है. नए वर्ष का जश्न मनाने के लिए पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, झारखंड, दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों से हजारों किलोमीटर का सफर तय कर सैलानी यहां पहुंच रहे हैं. इनमें से कुछ विदेशी पर्यटक भी होते हैं. होटल व रिसोर्ट में कमरे मिलना मुश्किल हो रहा है. प्रशासन ने आदिवासी संस्कृति पर आधारित घरों में होम स्टे की सुविधा भी उपलब्ध करा रखी है.
बस्तर के सघन वन, झरने, गुफाएं आदि की चर्चा विश्वभर में होती है, परंतु नक्सल घटनाओं की वजह से इसकी छवि पर असर पड़ता रहा. पुलिस अब नक्सलवाद पर अंकुश लगाने में सफल हुई है और इसके साथ ही बस्तर पर्यटकों का पसंदीदा ठिकाना बन गया है.
यह स्थल हैं मुख्य आकर्षण के केंद्र
जगदलपुर के निकट चित्रकोट जलप्रपात है जहां इंद्रावती नदी 90 फीट ऊंचा जलप्रपात बनाती है, इसे भारत का नियाग्रा कहा जाता है. यहीं तीरथगढ़ जलप्रपात भी है. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित प्राकृतिक कोटमसर व दंडक गुफाओं में प्रकृति की कारीगरी पर्यटकों का मन मोह रही है.
अबूझमाड़ का हांदावाड़ा जलप्रपात भी इंद्रावती पर पुल बनने के बाद पहुंच में आ गया है. केशकाल की फूलों की घाटी, बारसूर का पुरातात्विक वैभव, दंतेवाड़ा में मां दंतेश्वरी का प्राचीन मंदिर आदि अनेक ऐसे स्थल हैं जहां भीड़ उमड़ रही है.
30 नवंबर तक लाखों पर्यटक पहुंच चुके हैं बस्तर
यहां आने वाले पर्यटकों की वास्तविक संख्या की गणना की कोई व्यवस्था नहीं है. कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के बैरियर में ही पर्यटकों का आधिकारिक लेखा-जोखा रखा जाता है. इसके अनुसार 30 नवंबर 2022 तक 1,18,862 पर्यटक बस्तर पहुंचे हैं.