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अतिरिक्त तहसीलदार और राजस्व निरीक्षक ही पहुंचा रहे सरकार को हानि व निजी व्यक्तियों को लाभ
दुर्ग- राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी ही सरकार की जमीन को निजी खातेदारों के नाम कर रहे हैं. अतिरिक्त तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारी की सांठगांठ से करोड़ो रूपये की सरकारी जमीन को कलेक्टर के इजाजत और बगैर जानकारी से भ्रष्टाचार कर सरकार को हानि व निजी व्यक्तियों को लाभ पहुंचाया जा रहा है. ऐसे ही एक सनसनीखेज मामले का खुलासा हुआ है.
दरअसल, पिछले दिनों दुर्ग जिले के ग्राम जुनवानी पटवारी हल्का 43 राजस्व निरीक्षक मंडल जुनवानी, तहसील व जिला दुर्ग में सीताराम पिता गिरधारी सुपेला भिलाई निवासी को शासकीय घास भूमि खसरा नंबर 661 के रकबा में 4000 वर्ग फिट भूमि जिनकी कीमत लगभग 2 करोड़ रूपय की जमीन बताया जाता है. इस जमीन को राजस्व निरीक्षक रीना सोनी एवं पटवारी मोनिका देवांगन के प्रतिवेदन के आधार पर अतिरिक्त तहसीलदार हुलेश्वरनाथ खूंटे द्वारा बिना कलेक्टर के अनुमति अनुविभागीय अधिकारी राजस्व दुर्ग के प्रतिवेदन/अवलोकन के बिना छ.ग भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 89 के तहत भूमिस्वामी हक में आदेश पारित कर दिया गया है. जो इनके कार्य क्षेत्र से बाहर है. यह भी संदेह के दायरे में आता है. इस तरह से कीमती भूमि को राजस्व निरीक्षक के प्रतिवेदन के आधार पर किसी अन्य भूमि स्वामी के हक में देना भी जांच का विषय है? इसी तरह तहसीलदार दुर्ग द्वारा शासकीय भूमि नामांतरण मामले में तहसीलदार दुर्ग को निलंबित किया गया था. कलेक्टर एवं अनुविभागीय अधिकारी राजस्व दुर्ग मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करेंगे या करोड़ो के इस भ्रष्टाचार को आला अधिकारी द्वारा मामले को पिछले दरवाजा से रफादफा कर दिया जाएगा?
तात्कालिन SDM तारण प्रकाश सिन्हा ने ऐसे ही मामले को सुलझाया
इसी तरह के एक अन्य मामलें में तत्कालीन अनुविभागीय दंडाधिकारी तारण प्रकाश सिन्हा ने दुर्ग जिले के ही चंदखुरी गांव के खसरा नंबर 1433 के रकबा 0.06 हैक्टेयर पानी के नीचे दर्ज था. जिसे छ.ग भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 89 के तहत अनुमति लेकर सुधार किया था. निजी व्यक्ति की जमीन शासकीय भूमि में दर्ज था जिसे कलेक्टर से अनुमोदन अनुमति से बंदोबस्त त्रुटि सुधार का आदेश जारी किया गया था.
जानें नियम क्या कहता है?
छत्तीसगढ़ शासन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग नवा रायपुर द्वारा 16 नवंबर 2017 को आदेश जारी किया है. जारी आदेश परिस्थति 5 में कहा गया है कि किसी पक्षकार की भूमि शासकीय भूमि से लगी हो और जांच में यह पाया जाये कि बन्दोबस्त त्रुटि के कारण पक्षकार की भूमि का रकबा कम हुआ है तथा वह रकबा शासकीय भूमि में शामिल हो गया हो तथा वर्तमान खसरे में आवेदक की भूमि का रकबा कम लिखा हो. ऐसे प्रकरणों में यदि वर्तमान खसरे में शासकीय भूमि का रकबा, सर्वेक्षण पूर्व के खसरे से अधिक अंकित है तो पूर्व रिकार्ड तथा मौके पर कब्जा अनुसार रिकार्ड दुरूस्ती का आदेश करना चाहिए. यदि शासकीय भूमि के रकबे में परिवर्तन नहीं हुआ है तथा मौके पर शासकीय भूमि का रकबा, नक्शा अनुसार ही है तो आवेदन निरस्ती योग्य है.
ऐसे मामलों में यदि बन्दोबस्त त्रुटि सुधार किये जाने का आदेश किया जाता है और शासकीय भूमि का रकबा परिवर्तित करना पड़े, तो निस्तारपत्रक में भी परिवर्तन होगा. अत: ऐसे मामलों में कलेक्टर से अनुमोदन उपरांत ही छ.ग भू-राजस्व संहिता 1959 के प्रावधानों के अनुसार प्रकरणों का निराकरण किया जाना चाहिए.