
4 हजार 200 विद्यार्थियों को प्रदान की उपाधि, 16 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक वितरित
रायपुर- देश के लगभग 30 करोड़ बच्चे और युवा विभिन्न स्तरों पर शिक्षा प्राप्त कर रहें हैं. इस समूह के उज्जवल भविष्य के लिए गुणवत्ता भोजन, शिक्षा एवं सुविधाएं उपलब्ध कराना हम सभी की प्राथमिकता है. इसी को दृष्टिगत रखते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लागू कर पूरे देश में शिक्षा के क्षेत्र में नए आयाम खोले गए हैं, जिसमें डिग्री के साथ कौशल विकास को प्राथमिकता दी गई है. भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. यह उद्गार राज्यपाल रमेन डेका एवं कुलाधिपति इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने विश्वविद्यालय के 10वें दीक्षांत समारोह में व्यक्त किये.
राज्यपाल रमेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के 10 वें दीक्षांत समारोह में शामिल होने से पूर्व विश्वविद्यालय परिसर में स्थापित स्वामी विवेकानंद जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पण कर उनका पुण्य स्मरण किया. इस अवसर पर कृषि मंत्री राम विचार नेताम और इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजिनियरिंग एण्ड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक डॉ. वांगा शिवा रेड्डी विशेष रूप से उपस्थित थे.
राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के सभागार में आयोजित भव्य एवं गरिमामय दीक्षांत समारोह में शैक्षणिक वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 तक उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को पदक एवं उपाधियां वितरित की गई. मेधावी विद्यार्थियों को 16 स्वर्ण, 18 रजत एवं 4 कास्य पदक प्रदान किए गए. साथ ही लगभग 4200 विद्यार्थियों को ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और पी.एच.डी की उपाधि प्रदान की.
युवाओं के उज्जवल भविष्य के लिए गुणवत्ता पूर्ण भोजन, शिक्षा एवं सुविधाएं उपलब्ध कराना हम सब की प्राथमिकता: राज्यपाल
राज्यपाल रमेन डेका ने उपाधि और पदक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि आपने अपनी कड़ी मेहनत से अध्ययन कर ये मेडल प्राप्त किए हैं. आपके जीवन की यह अत्यंत महत्वपूर्ण उपलब्धि है. मुझे पूरा विश्वास है कि आपने इस विश्वविद्यालय में जो शिक्षा प्राप्त की है, उसका उपयोग आप समाज एवं देश के कल्याण एवं विकास के लिए करेंगे तथा दूसरों के लिए प्रेरणा स्त्रोत बनेंगे. राज्यपाल रमेन डेका ने कृषि की महत्ता का उल्लेख करते हुए कहा कि दुनिया में युद्ध समाप्त होगा लेकिन खाद्य सामग्री की हमेशा जरूरत पड़ेगी. उन्होंने डॉ स्वामीनाथन के योगदानों का जिक्र किया श्वेत क्रांति से दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की बात कही. उन्होंने कहा कि अब नीली क्रांति का दौर है और आज मत्स्य पालन में देश काफी आगे बढ़ चुका है. भूटान और ताइवान प्रवास के दौरान कृषि कार्य से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों को साझा किया. उन्होंने कहा कृषि एक शानदार व्यवसाय है और इससे जुड़कर भी हम देश के विकास में अपना योगदान दे सकते है. कृषि में असीम संभावनाएं है और युवा पीढ़ी को इसे समझकर इससे जुड़ना होगा. उन्होंने जय जवान जय किसान जय विज्ञान का उल्लेख करते हुए कहा कि विज्ञान से जुड़कर ही हम कृषि को उन्नत बना सकते है.
श्री डेका ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना प्रस्तुत की है एवं हम सबको इसे प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य करना है. वर्तमान में हम सभी प्रकार के भोजन, अनाज, तिलहन, सब्जी, फल, दूध, मांस, मछली आदि के साथ लगभग 1000 मिलियन टन भोजन का उत्पादन कर रहे हैं. वर्ष 2047 तक इसे 1500 मिलीयन टन तक बढ़ाना होगा. यह एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. बदलते मौसम एवं बाजार के उतार चढ़ाव से कृषि में जोखिम बढ़ गया है. श्री डेका ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों से आग्रह किया कि ऐसी तकनीक का विकास करें जिससे किसानों की लागत कम हो एवं आय बढ़े. हमें प्राकृतिक खेती एवं दलहन, तिलहन के उत्पादन पर भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता हैं. उन्होंने कहा कि हमारे देश के कुल वर्कफोर्स की संख्या का 45 प्रतिशत भाग अभी भी कृषि में लगा हुआ है एवं इस वर्कफोर्स के जीवन यापन को ऊपर उठाने की जिम्मेदारी हम सभी की है. कम ऊर्जा की आवश्यकता वाले छोटे-छोटे कृषि यंत्र विकसित करे जिससे कृषि में लागत, मानव श्रम एवं विशेष रूप से महिलाओं की मेहनत कम हो सके. कृषि के क्षेत्र में लोगों को बनाए रखना आज एक बड़ी चुनौती है. कृषि कार्य को आसान बनाना एवं उनकी आय बढ़ाना हमारा प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए.
ऊर्जा से भरे प्रतिभाशाली युवाओं के सहयोग से होगा विकसित छत्तीसगढ़ का निर्माण : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि वर्तमान में भारत में सर्वाधिक जनसंख्या युवाओं की है. देश एवं प्रदेश की प्रगति में भी युवा शक्ति का भी उल्लेखनीय योगदान है. स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि आप मुझे देश के 100 ऊर्जावान युवा दे दें, मैं देश के भविष्य को बदल दूंगा. आज भारत के पास ऊर्जा से भरी युवाओं की पीढ़ी है, निश्चय ही हम स्वामी विवेकानंद जी के सपनों को पूरा करने की दिशा में सकारात्मक रूप से आगे बढ़ रहे है.
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि आधुनिक युग विज्ञान एवं तकनीक का युग है. आपने जो ज्ञान अर्जित किया है, उस ज्ञान एवं तकनीक का उपयोग समाज के हित में, देश एवं प्रदेश के विकास में करने की आवश्यकता है. छत्तीसगढ़वासियों की आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने के लिए पूर्ण समर्पण से कार्य करें और विकसित छत्तीसगढ गढ़ने में अपना बहुमूल्य योगदान दें. रायपुर में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के सहयोग से हम अपने प्रदेश में कृषि विकास को नई ऊंचाइयों पर स्थापित करेंगे. कृषि वैज्ञानिकों और उद्यमियों की सहभागिता से हम किसानों के जीवन को खुशहाल और समृद्ध बनाएंगे. मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि एक वैज्ञानिक अपनी सोच और काम से देश को कितना बदल सकता है इसका उदाहरण कृषि वैज्ञानिक डा. एमएस स्वामीनाथन के जीवन में हम देख सकते हैं. डा. एमएस स्वामीनाथन जी ने देश में हरित क्रांति लाई. उन्होंने देश को खाद्य सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनाया. जिससे अब भारत को विदेशों से गेंहूं आयात के लिए मुंह नहीं ताकना पड़ा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा कृषि क्षेत्र के विकास को अपनी सर्वाेच्च प्राथमिकता में रखा है. उन्होंने हमेशा नवाचारों, अनुसंधानों और उद्यमिता के विकास को प्रोत्साहित और प्रेरित किया है. हमारे युवा सकारात्मक ऊर्जा से भरे हैं. उनके पास नये विचार हैं. हमें उन्हें प्रोत्साहित करना है. सुविधाएं उपलब्ध करानी हैं और उनकी जिज्ञासाओं का समाधान करना है. मुझे इस बात की खुशी है कि विश्वविद्यालय कैंपस में इसके लिए बहुत अच्छा वातावरण आप लोगों ने उपलब्ध कराया है. जीवन में नई संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए शिक्षा बेहद आवश्यक है. हमारा देश अपनी शिक्षा व्यवस्था की वजह से ही विश्व गुरु रहा है. हमें अपनी शिक्षा संस्थाओं को लगातार बेहतर करना होगा ताकि एक बार पुनः भारत वैश्विक शिक्षा का केंद्र बन सके.
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों की 160 से अधिक किस्में और 100 से अधिक उन्नत कृषि तकनीक विकसित की गई है. दुनिया जलवायु परिवर्तन के खतरों से जूझ रही है और इसका सबसे अधिक असर कृषि क्षेत्र पर पड़ेगा. यह खुशी की बात है कि कृषि विश्वविद्यालय के अनुसंधान केंद्रों के वैज्ञानिक जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने वाले बीज तैयार कर रहे हैं. विश्वविद्यालय का बलरामपुर से लेकर सुकमा तक कृषि महाविद्यालय, अनुसंधान केन्द्र और कृषि विज्ञान केन्द्र का मजबूत नेटवर्क है जिनकी सहायता से विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़ राज्य में कृषि विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि कृषि को राज्य की उन्नति का उत्प्रेरक मानते हुए इस विश्वविद्यालय को देश की दूसरी हरित क्रांति का अग्रदूत बनाने का संकल्प लें. अनुसंधान केंद्रों में हो रही अच्छी रिसर्च का पूरा लाभ के लिए इन्हें किसानों तक पहुंचाना होगा. छत्तीसगढ़ के कृषि विश्वविद्यालय में धान के 23,250 जर्मप्लाज्म हैं, जो कि विश्व में दूसरी नम्बर की सर्वाधिक संख्या है. इसके अतिरिक्त अन्य फसलों की लगभग 6000 किस्में विश्वविद्यालय में संग्रहित हैं. कृषि विश्वविद्यालय एक फसली क्षेत्र को बहुफसली क्षेत्र में परिवर्तित करने, खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने तथा ग्रामीण क्षेत्रों में आय एवं रोजगार के अवसर बढ़ाने हेतु सतत् प्रयत्नशील है. इन सभी उपलब्धियों तथा उत्कृष्ट कार्यों के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति, वैज्ञानिक, छात्र तथा किसान भाई बधाई के पात्र हैं. इनके सतत् प्रयास से प्रदेश में खेती को नई पहचान मिली है.
समारोह के विशिष्ट अतिथि कृषि मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य कृषि के साथ-साथ उद्यानिकी के क्षेत्र में भी निरंतर प्रगति कर रहा है. नए अनुसंधान और तकनीक के माध्यम से किसान अपना उत्पादन बढ़ा रहे है और आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे है. समारोह में दीक्षांत भाषण इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एण्ड बायोटेक्नोलॉजी, नई दिल्ली के पूर्व महानिदेशक डॉ. वांगा शिवा रेड्डी ने दिया. विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने दीक्षांत प्रतिवेदन प्रस्तुत किया उन्होंने विश्वविद्यालय की गतिविधियों एवं उपलब्धियों पर विस्तृत प्रकाश डाला. आभार प्रदर्शन कुलसचिव द्वारा किया गया. दीक्षांत समारोह में विभिन्न विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रबंध मण्डल तथा विद्या परिषद के सदस्यगण, प्राध्यापक, वैज्ञानिक, विश्वविद्यालय के अधिकारी, उपाधि तथा पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी तथा उनके पालकगण उपस्थित थे.