
पूर्व पति ने सार्वजनिक रूप से कान पकड़कर मांगा माफी
रायपुर- छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डाॅ. सदस्यमयी नायक एवं सदस्य सरला कोसरिया, लक्ष्मी वर्मा, प्रियंवादा सिंह जूदेव ने मंगलवार को छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला प्रस्तुतिकरण से संबंधित प्रकरणों की समीक्षा की. आयोग के अध्यक्ष डाॅ. किरणमयी नायक की नासिका में 286वी समीक्षा हुई. रायपुर जिले में कुल 137 वि. जनसुनवाई.
सुनवाई के दौरान एक प्रकरण को विस्तार से सुना गया जिसमें अधिवक्ता व काउंसलर के द्वारा काउंसलिंग की गई. जिसमें अनावेदक डोंगरगांव के बीरगांव के प्रायमरी स्कूल में टीचर है और उसे 45 हजार रू. मासिक मिलता है. पूर्व में अनावेदक ने दो शादी की है और दोनो पत्नियों से तलाक लेकर तीसरा विवाह कर लिया. तीसरे विवाह से उनको एक बच्ची भी है. आवेदिका जो अनावेदक की तीसरी पत्नि है उसे अनावेदक ने मारपीट कर घर से निकाल दिया क्योंकि वह अपनी पूर्व पत्नियों से दुबारा संबंध रख रहा है, जो कि सिविल सेवा आचरण के खिलाफ हैं आवेदिका लगभग 1 माह से अपनी पुत्री के साथ अपने मायके में रह रही है. आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने आवेदिका को प्रति माह 20 हजार रू. भरण-पोषण देना स्वीकारा जो कि अनावेदन के वेतन से सीधे आवेदिका के खाते में विभागीय स्तर पर दिया जा सकता है. जिसके लिए आयोग के द्वारा बी.ई.ओ एवं जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजा जायेगा. पत्र के आधार पर सीधे 20 हजार रू. आवेदिका को भेजने बाबत् प्रक्रिया पूर्ण कराने की अनुशंसा किया जायेगा. साथ में अनावेदक को समझाईश दिया गया कि वह भविष्य में कभी आवेदिका व बच्ची के जीवन में दखल नहीं देगा. आयोग द्वारा एक वर्ष तक प्रकरण को निगरानी में रखा जायेगा, इस निर्देश के साथ भरण-पोषण की कार्यवाही के बाद प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा.
दूसरे प्रकरण में अनावेदक पक्ष ने बुजुर्ग आवेदिका के जमीन को बंधनमुक्त करने के लिए दो माह का समय मांगा था, सुनवाई में उपस्थित अनावेदक ब्रांच मैनेजर ने कहा कि यह ब्रांच मैनेजर की अथॉरिटी में नहीं है. ब्रांच मैनेजर द्वारा मुख्य प्रबंधक का मोबाईल नं. दिया गया, आयोग के शासकीय मोबाईल से मुख्य प्रबंधक से बात की गई जिसमें मुख्य प्रबंधक ने सम्पूर्ण प्रकरण को दो माह में निराकरण कर जमीन बंधनमुक्त करने का मौखिक आश्वासन दिया परंतु आयोग द्वारा अनावेदक ब्रांच मैनेजर को आयोग ने आज की सुनवाई की निशुल्क प्रति उपल्बध कराया जिसके आधार पर मुख्य प्रबंधक द्वारा लिखित में पूरी जानकारी आयोग को दिया जायेगा. आयोग ने सक्त निर्देश दिया कि आगामी दो माह में अगर बुजुर्ग महिला की जमीन को बंधनमुक्त नहीं किया गया तो एफ.आई.आर. दर्ज करने के लिए निर्देशित किया जायेगा.
पूर्व पति ने सार्वजनिक रूप से कान पकड़कर मांगा माफी
तीसरे प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक ने 2018 में आर्य समाज में विवाह किया लेकिन शादी के बाद अनावेदक का अपराधिक रिकॉर्ड के कारण आवेदिका को छोड़ दिया और कहा कि तुम दुसरी जगह शादी कर लो. अनावेदक के उपर अपराधिक मामले चल रहे है. जिसके कारण अनावेदक ने आवेदिका को छोड़ दिया था. डेढ साल मायके में रहने के बाद आवेदिका के माता-पिता ने आवेदिका का सामाजिक रीति-रिवाज से विवाह कर दिया. आवेदिका के दूसरे विवाह से एक 3 वर्ष का बच्चा है. अगस्त 2022 से अनावेदक आवेदिका और उसके पति को फोन पर गाली-गलौच कर धमकी दे रहा है कि वह अनावेदक के साथ रहे जो कि आवेदिका के लिए प्रताड़ना का कारण है. आयोग के सदस्यों द्वारा समझाईश देने पर अनावेदक ने आवेदिका और उसके पति से सार्वजनिक रूप से कान पकड़कर माफी मांगी और भविष्य में दोबारा प्रताड़ित नहीं करने का वादा किया एवं आयोग से आपसी रजामंदी से तलाक के लिए अनुरोध किया. आयोग ने कहा कि तलाक की प्रक्रिया पूर्ण होने पर प्रकरण नस्तीबध्द किया जायेगा और अनावेदक पक्ष पर सक्त निगरानी रखी जायेगी.
चौथे प्रकरण में आवेदिकांगणों ने अनावेदक के खिलाफ सामाजिक बहिष्कार की शिकायत किया है. सामाज के उप. अध्यक्ष एवं सचिव के द्वारा समस्त सदस्यों की सूची प्रदान किया, जिसमें सभी पदाधिकारियों का नाम, पता व मोबाईल नं है. सभी को आगामी सुनवाई में पक्षकारों के रूप में जोड़ा जायेगा. समाज की बैठक दिसंबर माह में की जायेगी जिसमें आयोग की ओर से टीम भेजने का अनुरोध अनावेदक पक्ष ने किया. समाज के सभी पदाधिकारी एवं आयोग के सदस्य बैठक में उपस्थित होंगे. जिसकी रिपोर्ट के बाद प्रकरण में आगामी कार्यवाही की जायेगी.
बुर्जुग मां को धर्म परिवर्तन कर तंग करने वाली बेटियों का प्रकरण आयोग ने नस्तीबध्द किया
एक अन्य प्रकरण में आवेदिकागण अनावेदिका की बेटियां है. अपने बुर्जुग मां से रिहायशी मकान में रहने के बाद भी सम्पत्ति में हिस्सा मांग रही है. जिसके लिए कानूनी प्रावधान के तहत उनको अपनी मां के पालन-पोषण के लिए 1500 रू देना अनिवार्य है. उस स्थिति में आवेदिकागणों ने अपने आपको अक्षम बताया. ऐसे में आवेदिकागणों को अपनी मां को प्रताडित करने का कोई अधिकार नहीं है. आयोग द्वारा समझाईश दिया गया कि आवेदिकागण जितने हिस्से में रहती है उसके अतिरिक्त किसी भी चीजों में वह दखल नहीं देंगी. यदि उनके द्वारा शारीरिक, मानसिक, आर्थिक प्रताड़ना अपनी मां को दिया जाता है तो अनावेदिका मां सखी सेंटर के माध्यम से न्यायालय में आवेदिकागणों के खिलाफ प्रकरण दर्ज करा सकेंगी. इस निर्देश के साथ प्रकरण नस्तीबध्द किया गया.