
पंचायत को 2019 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा
राजेश साहू – ग्राम पंचायत रुवातला ने सफलता की एक नई इबारत लिखी है. ग्राम पंचायत ने वर्षा से जल प्रबंधन के लिए नालों पर फोकस किया और मनरेगा के तहत विभिन्न संरचनाओं को विकसित कर गांव की दशा और दिशा बदल दी. अब न केवल गांव का जल स्तर सुधर गया है बल्कि रबी फसलों की सिंचाई भी आसान हो गई है. प्रति एकड़ धान का उत्पादन भी 10 से बढ़कर 18 क्विंटल तक पहुंच गया है. ग्राम पंचायत को नाला जल प्रबंधन के क्षेल में उल्लेखनीय कार्य करने हेतु 2019 में राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.
छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ विकासखंड में ग्राम पंचायत रुवातला के जल प्रबंधन समिति द्वारा सिंचाई के लिए पानी रोकने एवं सहभागी सिंचाई प्रबंधन के लिए उल्लेखनीय कार्य किया गया है. जिसके कारण गांव के भूमिगत जलस्तर में वृद्धि होने के साथ-साथ सिंचाई सुविधा को बढ़ावा मिला है.
50 लाख के कुल खर्च से बदल गई गांव की किस्मत
डेढ़ गुना तक बढ़ गया प्रति एकड़ धान का उत्पादन
ग्राम पंचायत रुवातला ने लिखी सफलता की कहानी
राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार से किया गया सम्मानित
रूवातला के पंचायत सचिव नारायण साहू ने बताया कि वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में महात्मा गांधी नरेगा एवं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के अभिकरण से नाला प्रबंधन का कार्य कराया गया था. इसके अंतर्गत गांव की प्राकृतिक नालों में पानी रोकने के लिए स्टाप डेम, चेक चेक डेम एवं गेबियन जैसी वाटरशेड संरचनाओं का निर्माण किया गया था. इस परियोजना के संपन्न होने से गांव के भूमिगत जल स्तर में वृद्धि होने के साथ-साथ नाले में पानी एकत्रित हुआ. इससे किसानों को खरीफ एवं रवि के लिए सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई.
2019 में पंचायत को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार
पूर्व सरपंच विनीता वैष्णव ने बताया कि महात्मा गांधी नरेगा के तहत इन संरचनाओं के निर्माण से ग्राम पंचायत के प्रति लोगों का जुड़ाव होने लगा. ग्रामसभा में सहभागिता बढ़ने से योजना बनानेएवं क्रियान्वयन करने में सरलता हुई, इसके साथ-साथ ग्राम पंचायत द्वारा लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक विकास की दिशा में निरंतर प्रयास किए गए. जिसके परिणामस्वरूप ग्राम पंचायत रुवातला को वर्ष 2019 में राष्ट्रीय पंचायत पुरस्कार के रूप में सम्मानित किया गया.
छत्तीसगढ़ राज्य में पर्याप्त वर्षा और असंख्य प्राकृतिक नालों को देखते हुए इस योजना को सभी ग्राम पंचायतों तक ले जाने की जरूरत है. इससे न केवल जल संग्रहण होगा, सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होगा और गर्मी में होने वाली रबी फसल और बागवानी को भी बढ़ावा दिया जा सकेगा.
मनरेगा के तहत बनाई गई संरचनाएं
- गेबियन-1 – 2.14 लाख रुपए
- गेबियन-2 – 2.73 लाख रुपए
- गेबियन-3 – 2.91 लाख रुपए
- स्टॉप डेम-1 – 11.77 लाख रुपए
- स्टॉप डेम-2 – 13.00 लाख रुपए
- स्टॉप डेम-3 – 17.6 लाख रुपए
छत्तीसगढ़ नरवा, गरुवा, घुरवा, बारी योजना भी ग्रामीण क्षेत्र को समृद्ध और स्वावलंबी बनाने की दिशा में कारगर सिद्ध हुई है. आवश्यकता इस बात की है कि प्राकृतिक जल संग्रहण के लिए नदी, नालों, तालाबों को संरक्षित किया जाए तथा ग्रामीणजनों को उचित प्रशिक्षण के साथ शासकीय स्तर पर आवश्यक अतिरिक्त सुविधाएं देने हेतु ग्राम पंचायतों के माध्यम से ऐसी योजनाओं को नई तकनीकी के साथ मूर्त रूप दिया जाए. ग्राम रुवातला की ग्राम पंचायत ने एक मॉडल के रूप में अन्य पंचायतों और कृषि कार्य में रुचि रखने वाले तमाम युवा किसानों को सहयोग और मार्गदर्शन देने का कार्य किया है जो आज भी जारी है. स्मरण रहे कि इस क्षेत्र में जिला पंचायत के सीईओ रहे एवं बस्तर के वर्तमान कलेक्टर चंदन कुमार ने भी रुवातला ग्राम पंचायत की इस सफल कार्य प्रणाली पर सराहना करते हुए भारत सरकार को पत्त्र भेजकर इस ग्राम पंचायत को सम्मानित करने की अनुशंसा की थी. जिसके आधार पर राष्ट्रीय स्तर पर इस पंचायत को पुरस्कृत किया गया जो अन्य पंचायत के लिए प्रेरणा इस पद और अनुकरणीय है.
ऐसे लिखी गई सफलता की कहानी
जब किसानों को सिंचाई सुविधा मिलना प्रारंभ हुआ तो किसानों को ग्रामसभा में बुलाकर जल प्रबंधन समिति बनाने की चर्चा की गई. प्रत्येक संरचना के आधार पर समितियां बनाई गई. समितियों में निम्न निर्णय लिए गए –
- संरचना की देखरेख एवं प्रबंधन समिति के सदस्य करेंगे.
- बारिश के दौरान स्टाप डेम का गेट खोलने एवं बंद करने का कार्य समिति के सदस्यों द्वारा किया जाएगा.
- खरीफ एवं रबी फसल के लिए पानी का बंटवारा समिति सदस्यों की सहमति के आधार पर किया जाएगा.
- किसान द्वारा पंप से सिंचाई करने के पूर्व समिति को आवेदन देना होगा.
- संरचना से सिंचाई करने पर प्रति एकड़ 100 रू. का शुल्क देना होगा. आय व्यय ग्रामसभा में प्रस्तुत किया जाएगा.
- पानी का दुरूपयोग रोकने की दिशा में समिति के द्वारा जनजागरूगता के कार्य किए जाएंगे.
- ग्राम पंचायत के साथ मिलकर नियमित रूप से जल संवर्धन की नई कार्ययोजना बनाई जाएगी.
“गांव के लगभग 70 एकड़ भूमि में सिंचाई सुविधा प्राप्त हुई है. गांव में मुख्य रूप से धान की फसल उगाई जाती है जिसके लिए किसानों को वर्षा पर निर्भर रहना पड़ता था. संरचना निर्माण के पूर्व धान का उत्पादन 10-12 क्वि. प्रति एकड़ था. पर संरचना निर्माण के बाद उत्पादन 18 क्विंटल प्रति एकड़ हो रहा है.”
राधेश्याम वर्मा अध्यक्ष, जल प्रबंधन समिति
“आमतौर पर यह धारणा रहती है कि पंचायतें केवल पेंशन, राशन एवं गांव की मूलभूत समस्याओं के लिए बनी है. लेकिन हमारी ग्राम पंचायत ने जल संवर्धन एवं कृषि के क्षेत्र में काम करके इस धारणा को बदला है. ग्राम पंचायत को तकनीकी सहयोग मिलने पर वह सभी क्षेत्रों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकती है.”
गणेशी बाई वर्मा सरपंच, ग्राम पंचायत रुवातला
“महात्मा गांधी नरेगा के द्वारा पहले भी कई कार्य कराए गए थे परंतु उन संरचनाओं का प्रबंधन नहीं हो रहा था. लेकिन नाला प्रबंधन योजना के अंतर्गत कुल 49.41 लाख के कार्य संपादित किए, जिसके कारण गांव के किसानों को सिंचाई की सुविधा प्राप्त हुई. इससे गांव का संगठन मजबूत हुआ.”
कमलेश वर्मा रोजगार सहायक, ग्राम पंचायत रुवातला