
दस्तावेज एवं गवाह के बिना किसी पर आरोप लगाना गलत
बिलासपुर- राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्यगण शशिकांता राठौर और अर्चना उपाध्याय ने सिंचाई विभाग के सभागार प्रार्थना भवन में महिलाओं से संबंधित शिकायतों के निराकरण के लिए सुनवाई की. जिले की सुनवाई में आज 30 प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 11 प्रकरण नस्तीबद्ध किए गए.
एक महत्वपूर्ण प्रकरण में आयोग ने सुनवाई करते हुए झीरम घाटी में शहीद की माता को पेंशन राशि दिलाने और शहीद के परिवार के बीच सामंजस्य कर प्रकरण में स्थायी समाधान करने का निर्णय लिया. महिला आयोग द्वारा सम्पूर्ण प्रकरण के संक्षिप्त तथ्यों का उल्लेख करते हुए आर्डरशीट की प्रमाणित प्रति के साथ पत्र मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, गृहमंत्री मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजने का निर्णय लिया गया. इस प्रकरण में बताया गया कि आवेदिका के पति और अनावेदकगण के पुत्र झीरम घाटी में शहीद हुए थे. उस समय उनकी पोस्टिंग जगदलपुर में शहीद नंदकुमार पटेल के फॉलोगार्ड के रूप में थी. वे अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे. जिनका विवाह अनावेदिका से वर्ष 2011 में हुआ था.
शहीद 2008 से शासकीय सेवा में कार्यरत थे. उनकी मां का नाम नॉमिनी में दर्ज कराया गया था. पत्नी का नाम शासकीय अभिलेख में दर्ज नहीं था. सामाजिक, पारिवारिक और विभागीय सदस्यों की समझाईश पर अनावेदक ने अनुकंपा नियुक्ति के अनावेदिका का नाम अभिलेख में दर्ज कराया. जिसके आधार पर अनावेदिका की अनुकंपा नियुक्ति असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के रूप में आईजी ऑफिस में हुई. मृत्यु के पश्चात् 38 लाख रूपए एकमुश्त और 20 हजार पेंशन मिलने लगी. आवेदिका का कथन है कि उन्होंने अनावेदकगण माता-पिता को 12 लाख रूपए दिया था. आवेदिका ने वर्ष 2019 में ही अपने विभाग में बाबू के रूप में पदस्थ व्यक्ति से पुनर्विवाह कर लिया. आवेदिका ने यह भी बताया कि अनावेदकगण उसकी अनुकंपा नियुक्ति समाप्त करने और पेंशन पाने के लिए अलग-अलग शिकायत कर रहे हैं. अनावेदकगण का कहना है कि उनके पास जीवन यापन के लिए और कोई साधन नहीं है.
आवेदिका ने पुनर्विवाह कर लिया है ऐसी स्थिति में पेंशन राशि पाने की पात्रता शहीद की माता को मिलना चाहिए. इसलिए अनावेदकगण द्वारा विभाग में आवेदन दिया जा रहा है. आयोग द्वारा दोनों पक्षों को समझाईश दी गई कि एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत करने से समस्या का हल नहीं होगा. दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि आवेदिका अनुकंपा नियुक्ति पर कार्यरत बनी रही और पेंशन की पात्रता शहीद की माता को दी जाए. आयोग ने कहा कि वह इस महत्वपूर्ण मामले में समस्या के स्थायी समाधान करने मेें विशेष रूचि लेकर लगातार प्रयास करेगा. इस निर्णय के साथ यह प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया.
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने अपने खाते से पैसे के गबन की शिकायत बैंक मैनेजर के खिलाफ की. आवेदिका ने बताया कि वर्ष 2016 से वर्ष 2019 तक बैंक से अलग-अलग समय पर पर्ची में अंगूठा लगाकर पैसे निकाले थे. उस समय उसके खाते में पैसे बचे थे लेकिन बाद में खाते से पैसे कम हो गए. आवेदिका ने सरकंडा पुलिस थाने में आवेदन दिया. पुलिस की पूरी जांच के बाद यह पता चला कि सारे निकासी पर्ची में आवेदिका के अंगूठे का निशान है इसलिए किसी और के द्वारा पैसे निकाला जाना साबित नहीं होता है. आवेदिका ने सीसीटीवी फुटेज से जांच करवाने की बात की. अनावेदक ने बताया कि 6 माह से पुराना सीसीटीवी का फुटेज का रिकार्ड नहीं होता है. इसलिए जांच संभव नहीं है. आयोग ने आवेदिका को समझाईश दी कि गवाह एवं दस्तावेज के बिना किसी पर आरोप लगाना गलत है. यदि साक्ष्य किसी के विरूद्ध है तो साक्ष्य के साथ आवेदन किया जा सकता है. साक्ष्य उपलब्ध हो तो पुनः शिकायत की जा सकती है. आयोग द्वारा यह प्रकरण भी नस्तीबद्ध किया गया.
एक अन्य प्रकरण को संरक्षण अधिकारी को सौंपा गया. जिसमें संरक्षण अधिकारी 6 माह तक मामले की निगरानी करेंगी. इस प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि दोनों के बीच सुलह हो गई है और उनकी डेेढ़ साल की बच्ची है. भविष्य में अनावेदक आवेदिका को परेशान नहीं करेगा. शिकायत होने पर दोनों पक्ष कभी भी संरक्षण अधिकारी से सीधे संपर्क कर सकते है. एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि पिछली सुनवाई में भरण-पोषण के लिए दिए गए आदेश का अनावेदक पालन नहीं कर रहा हैं. आवेदिका उसके साथ रहने के लिए तैयार नहीं है. आवेदिका ने न्यायालय में भरण-पोषण का प्रकरण लगाने की बात कहीं। इस आधार पर आयोग द्वारा प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया.