
भिलाई- छत्तीसगढ़ के प्रखर पत्रकार और पूर्व सांसद स्व. चंदूलाल चंद्राकर की 29वीं पुण्यतिथि आज कोलिहापुरी के उनके पुरखौती स्थल पर मनाई गई. चंद्राकर के अमूल्य योगदान को याद करते हुए क्षेत्रिय विधायक ललित चंद्राकर, वरिष्ठ कांग्रेस नेता बंटी हरमुख एवं अन्य कांग्रेसी कार्यकर्ता समेत गांव के वरिष्ठ नागरिक ने श्रद्धांजलि अर्पित की.
चंदूलाल चंद्राकर के पोते अमित चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ आजतक से बातचीत के दौरान कहा कि अकूत संपदा वाले राज्य छत्तीसगढ़ 23 वर्षों में भी पिछड़ा हुआ है. छत्तीसगढ़ इतना अमीर है कि बगैर टैक्स दिए भी यहां के लोग आसानी से जीवनयापन कर सकते है. उन्होंने यह भी कहा की छत्तीसगढ़ सरकार चाहे तो किसानों के धान को 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल की दर पर खरीद सकती है. छत्तीसगढ़ शांत व प्राकृतिक आपदा से कोसो दूर वाला प्रदेश है. इसके बावजूद छत्तीसगढ़ चंदूलाल चंद्राकर के सपनों वाला छत्तीसगढ़ से कोसो दूर है.
दुर्ग से निकलकर दिल्ली में हिंदुस्तान समाचार-पत्र में संपादक का दायित्व का संभाला. आज हम पत्रकारिता के ऐसे शिखर पुरूष चंदूलाल चंद्राकर को याद कर रहे हैं. उस शख्स को जो पत्रकारिता को छोड़ जब राजनीति में गए तो वहाँ सफल राजनीतिज्ञ के तौर पर छा गए.
चंदूलाल चंद्राकर का जन्म दुर्ग जिले के निपानी गाँव में 1 जनवरी 1921 को हुआ था. उन्होने प्राभंरिक शिक्षा गाँव से ही प्राप्त की. उच्च शिक्षा जबलपुर के रॉबर्ट्सन कॉलेज जबलपुर से प्राप्त की. अध्ययन के दौरान ही चंदूलाल ग्रामीण समस्याओं के समाधान के लिए तत्पर रहते थे. शायद यही उनकी पत्रकारिता की एक तरह की शुरुआत कही जा सकती है. सामाजिक मुद्दों पर वे अपनी नजर रखते, उस पर अध्ययन और विमर्श करते.
जबलपुर में कॉलेज की शिक्षा ग्रहण के बाद वे पत्रकारिता से जुड़ गए. इस दौरान वे राष्ट्रीय आंदोलन से भी जुड़ चुके थे. इसके लिए उन्हें सन् 1942 में जेल भी जाना पड़ा था. जेल रिहा होने के बाद वे बनारस चले और वहाँ पर दैनिक आज के लिए रिपोर्टिंग करने लगे. इसके बाद वे आर्यावत समाचार-पत्र से जुड़ गए. उन्होंने मुंबई में कांग्रेस का राष्ट्रीय अधिवेशन कवर किया. कवरेज इतना प्रभावशाली था कि महात्मा गाँधी तक उनकी प्रशंसा की थी.
चंदूलाल चंद्राकर की पत्रकारिता से प्रभावित महात्मा गांधी ने अपने बेटे देवदास गांधी से उन्हें हिंदुस्तान टाइम्स में रखने को कहा. इसके बाद चंदूलाल चंद्राकर सन् 1945 में हिंदुस्तान टाइम्स में सहायक संपादक बन गए. बाद में फिर सिटी चीफ और संपादक बनकर काम करते रहे. सन् 1964 में वे वे हिंदुस्तान टाइम्स के संपादक बने. छत्तीसगढ़ से दिल्ली में जाकर एक सर्वोच्च अखबार के संपादक बनने वाले पहले व्यक्ति थे. इस दौरान उन्होंने ओलंपिक की सर्वाधिक 9 बार रिपोर्टिंग की, जो कि खेल पत्रकारिता में एक रिकॉर्ड है. बतौर पत्रकार उन्होंने कई देशों की यात्राएं की. यहाँ तक अमेरिकी चुनाव की रिपोर्टिंग और अमेरिका राष्ट्रपति का इंटरव्यू भी किया था.
सन् 1970 में चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता को छोड़ राजनीति में आ गए. कांग्रेस पार्टी से जुड़ने के बाद सन् 71 वे दुर्ग लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतकर सांसद बने. इसके बाद वे लगातर 1991 तक 5 बार सांसद रहे. इस दौरान वे राजीव गांधी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे.