
रायपुर : कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में भारत के आजादी की लड़ाई लड़ी गयी और उसके फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ. भारत की आजादी के बाद देश के नवनिर्माण में कांग्रेस पार्टी का अतुलनीय योगदान है. 28 दिसंबर 1885 को बनी कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक राजनैतिक दल ही नहीं एक विचारधारा के रूप में देशवासियों के रग-रग में है. महात्मा गांधी, मदन मोहन मालवीय, जवाहर लाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, डॉ. भीमराव अंबेडकर, मौलाना आजाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह जैसे अनेकों नेताओं ने आजादी की लड़ाई से लेकर आजादी के बाद समृद्ध और लोकतांत्रिक भारत की नींव रखी.
आजादी के बाद भारत को प्रजातांत्रिक गणराज्य बनाना कांग्रेस का संकल्प था, इसके लिये संविधान सभा की स्थापना की गई. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में संविधान का निर्माण हुआ. 26 जनवरी 1950 को स्वतंत्र भारत के संविधान को आत्मसात किया गया. 26 जनवरी 1950 को देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने 21 तोपों की सलामी के साथ ध्वजारोहण कर भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया. जहां एक तरफ हमारा संविधान हमें आजादी के साथ जीने का हक देता है, तो दूसरी तरफ हमारे कुछ मौलिक कर्तव्यों की भी याद दिलाता है. भारत का संविधान दुनिया के अन्य देशों के संविधान के मुकाबले में कई दृष्टिकोण से विशेष है. भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है. इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों और सरकार की भूमिका के साथ प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है. संविधान में वर्णित नीति निर्देशक तत्व चुनी हुई सरकारों को जनता के आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति के लिये कार्य करने निर्देशित करता है. विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है? उनकी देश को चलाने में क्या भूमिका है ? इन सभी बातों का जिक्र संविधान में किया गया है.