आरक्षण को विधानसभा में पारित कर राज्य में लागू करें भूपेश सरकार
रायपुर. सेवा एवं शिक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग को आबादी के आधार पर समानुपातिक संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) विधानसभा में पारित कर राज्य में लागू करने के लिए अखिल भारतीय कूर्मि महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. जीतेन्द्र सिंगरौल ने मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल को पत्र लिखकर मांग किया है. डॉ. सिंगरौल ने आरक्षण की मांग में सरकार का ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा है कि भारत सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को 27 प्रतिशत संवैधानिक प्रतिनिधित्व (आरक्षण) लागू किया गया है. किन्तु छत्तीसगढ़ में केवल 14 प्रतिनिधित्व (आरक्षण) दिया जा रहा है, जबकि राज्य में अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या लगभग 56 प्रतिशत है. राज्य में ओबीसी की आबादी आधे से भी अधिक होने के बावजूद 14 प्रतिशत प्रतिनिधित्व दिया जाना अन्य पिछड़ा वर्ग को उपेक्षित करने जैसा प्रतीत होता है.
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने ओबीसी की आबादी की गणना के लिए क्वांटिफायबल डाटा कमीशन का भी गठन किया है. जिसके द्वारा दर्शाये गए आंकड़ों के अनुसार भी ओबीसी की आबादी लगभग 45 प्रतिशत होने का प्रमाण राज्य सरकार के पास वर्तमान में उपलब्ध है. यदि सरकार चाहे तो वे इन आंकड़ों के आधार पर ही इसे लागू कर सकते हैं.
डॉ. सिंगरौल ने अपने पत्र में जिक्र किया है कि तमिलनाडु, कर्नाटक व केरल जैसे राज्यों में अन्य पिछड़ा वर्ग को जनसंख्या के अनुपात के आधार पर क्रमशः 50, 49 व 40 प्रतिशत आरक्षण लागू है. उन्होंने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि इन राज्यों की भंाति छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग के जनसंख्या के अनुरूप 27 से 45 प्रतिशत आरक्षण दिनॉक 01 दिसम्बर 2022 को होने वाले विशेष विधानसभा सत्र में पारित कर लागू किया जाए. साथ ही उन्होंने कहा कि क्वांटिफायबल डाटा कमीशन के आंकड़ा आने में यदि विलंब है तो भारत सरकार द्वारा प्रावधानित 27 प्रतिशत आरक्षण को तत्काल विधानसभा में पारित कर लागू किया जा सकता है.