नशाखोरी के गिरफ्त में युवा
छत्तीसगढ़ में नशे का कारोबार दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है. उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, उडिसा, झारखंड, दिल्ली, पंजाब, महाराष्ट्र से नशीली दवाईओं, गांजा, ब्राउन शुगर, चरस की सप्लाई होने से छत्तीसगढ़ में नशे का कॉरिडोर बन गया है. मुनाफा अधिक मिलने के कारण तस्कर प्रदेश की सीमा से लगे गांवों में नशे की बड़ी खेफ पहंुचा रहें है. छत्तीसगढ़ पुलिस ने नशे के सौदागरों के खिलाफ अभियान भी छेड़ रखा है. इसके बावजूद सड़क व रेलमार्ग से नशीली समाग्रियों की तस्करी रूक नहीं रही है. इतना ही नहीं इन तस्करों के साथ नशीली पदार्थों बेचने वाले रसुखदार व मेडिकल संचालक भी इसमें शामिल है. यह स्थिति सरकार और समाज दोनों के लिए चिंताजनक है. नशा और अपराध का संबध है. युवाओं में असमाजिक और नशाखोरी की वजह से अपराध बढ़ रहें है. वही प्रदेशभर में लूट, चोरी, उठाईगिरी और लगातार हत्या की घटनाएं बढ़ रही है. नशा के चलते ही तेज रफ्तार वाहन चलाने से ही सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जान जा रही है. नशा-नाश का कारण है यह सब जानते है समझते है फिर भी नशाखोरी करने से बाज नहीं आ रहे है. अपचारी व युवा वर्ग में नशे की लत लगने से नशे की सौदागरों की बल्ले-बल्ले हो गई है. ऐसे में राज्य के युवाओं को नशे के चंगुल से बचाने के लिए सरकार को चौतरफा प्रयास करना चाहिए.
युवाओं को शिक्षा और रोजगार में ज्यादा से ज्यादा व्यस्त रखना चाहिए.
युवाओं के बीच नशे से होने वाले नुकसान का प्रचार-प्रसार करना चाहिए.
युवाओं को यह भी पता होना चाहिए कि नशे के कारण तन, मन और जीवन की बर्बादी का कारण है.
नशे से न तो अच्छे नंबर मिलते है और न ही नौकरी मिलती है और न ही परिवार वालों का स्नंेह बढ़ता है और समाजिक रूप से बदनामी होती है.
सरकार को पेट्रोलिंग में लापरवाही बरतने वाले पुलिस कर्मियों को बर्खास्त करना चाहिए.
नशे के सौदागरों, कारोबारियाें व नशाखोरों पर सख्त कार्रवाई करना चाहिए और जब नशेड़ी पकड़े जाये तो उनके परिजनो और शिक्षको को बुलाकर समझाईस देना चाहिए. इसे रोकना भी बड़ी चुनौती बन गया है.