
रायपुर- देश के पहले प्रधान मंत्री और स्वप्नदृष्टा पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती के अवसर पर 14 नवंबर 2022 को मुख्य मंत्री भूपेश बघेल के करकमलों द्वारा हमारे फाउंडेशन (PARK Foundation) की वेबसाइट “ नेहरू का भारत” http://nehrukabharat.com/ का लोकार्पण एक सादे समारोह में किया गया.
पं.नेहरू के विचारों और उनके “आइडिया ऑफ इंडिया” से आम जन को अवगत कराने और जन जन तक पहुंचाने के ध्येय से हमारी सोसायटी द्वारा एक वेबसाइट “ नेहरू का भारत” और इसके अंतर्गत डिजिटल पाक्षिक बुलेटिन प्रारंभ की गई है.
फासीवादी ताकतें देश के देश की बहुलता , विविधता, धर्मनिरपेक्ष ढांचे , लोकतांत्रिक स्वरूप और संविधान को समाप्त कर देना चाहती हैं. आज देश के स्वतंत्रता संग्राम, स्वतंत्रता सेनानियों और उनके बलिदान , उनके अवदान को उपेक्षित करने, नकारने और स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को खारिज कर अपनी सुविधानुसार गलत इतिहास के पुनर्लेखन का कुत्सित प्रयास सुनियोजित षड्यंत्र के तहत बड़ी तेजी से किया जा रहा है. पंडित नेहरू के विचार और उनका व्यक्तित्व इन विध्वंसकारी शक्तियों के विरुद्ध सबसे बड़ी बाधा हैं और इसीलिए आज नेहरू लगातार निशाने पर हैं. ये ताकतें अनर्गल प्रचार, भ्रामक और झूठे प्रपंच का सहारा लेकर पं. नेहरू की छवि बिगाड़ने के कुत्सित प्रयास में लगातार मुख्य एवं सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं.
इन फासीवादी ताकतों के विरुद्ध देश के पहले प्रधान मंत्री और स्वप्नदृष्टा पंडित जवाहर लाल नेहरू का “आइडिया ऑफ इंडिया” जिसमें उनकी वैश्विक समझ , विश्व बन्धुत्व, मानवतावादी दृष्टि, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और धर्मनिरपेक्ष सोच के साथ साथ समावेशी विचारधारा, उनके प्रगतिशील विचार समाहित हैं, देश के आम आदमी को इन फासीवादी और सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ को आशा और संबल प्रदाम करता है.
नेहरू का मानवतावाद, हमारे समाज में वैज्ञानिक स्वभाव को बढ़ावा देने के बारे में उनकी गहरी चिंता, उनके धर्मनिरपेक्षता के प्रति समर्पण और हमारे देश में लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने के लिए उनकी प्रासंगिकता निरंतर बनी हुई है. हमारा रुढ़िवादी समाज कभी भी खुद को आधुनिक तर्कसम्मत नहीं बना सकता जब तक कि हम वैज्ञानिक सोच, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की प्रक्रियाओं द्वारा निर्धारित अनिवार्यताओं पर विस्तार से काम नहीं करते. इन अनिवार्यताओं में न केवल आर्थिक विकास बल्कि महत्वपूर्ण रूप से हमारी सोच प्रक्रियाओं, और हमारी सामाजिक संरचना की मूल्य प्रणाली का मौलिक परिवर्तन शामिल होगा.