भिलाई- छत्तीसगढ़ में दशहरा के बाद चुनावी सरगर्मी तेज होने वाली है. वही छत्तीसगढ़ में मुख्य लड़ाई भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में है. दोनों ही पार्टी ने अब तक संकल्प पत्र जारी नहीं किया है जनता को बेसब्री से संकल्प पत्र का इंजतार है ताकि वे ये तौल सके कि किस पार्टी ने उन्हें कितना राहत मिलने वाला है. गत चुनाव से ये परंपरा देखी जा रही है मतदाता भी अब उसी तरफ झुकने लगा जहां उसे आर्थिक लाभ कि गुजाइंस बनी रहती है.
छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री यानी कका लगातार अपनी चुनावी सभा में चुनाव 2023 की लगभग बाजी पलट चुके है. किसानों के कर्जमाफी की पुन: बात कर वहीं विपक्ष के नेता अपने-अपने विधानसभा सिटों पर चुनाव जीतने की जुगत लगाने में समय जाया कर रहे है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव अपनी व्यक्तिगत टीम के साथ लोरमी में जनता से वोट मांग रहें है वहीं अपने मीडिया प्रेम को भी लगातार बीजेपी के रायपुर कार्यालय से प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बरकरार रखें है. अरूण साव स्वंय जानते है कि लोरमी उनके लिए आसान नहीं और ये डर चुनाव परिणाम आने तक बना रहेंगा.
वहीं नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल अपने विधानसभा क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा समय देने की कोशिश कर रहें है ताकि विभिन्न चुनाव सर्वक्षेणों से मिले संकेत जो उनके हारने की पुष्टी कर रहे है उसे झूठ ला सके और उनके विरोध में खड़े हुए कांग्रेस प्रत्याशी को वे हल्के से ले रहे है. वहीं उनपे ये आरोप भी है की जो व्यक्ति ने उन्हें अबतक चुनाव में लगातार जीताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उन्हें ही वे जनपद चुनाव में नहीं जीतवा पाये और अपने ही लोगों की माध्यम से उन्हें हरावा दिये ताकि उनके हाल ही में बल्तकार के मामले में प्रसिद्धी पाये बेटे के राजनीतिक भविष्य को सवार सके. और जिन्हें उन्होंने जनपद में हरवाया और कोई नहीं वो उनके छोटे भाई शेखर चंदेल जो इस चुनाव में शायद ही पूरी तन,मन, धन से लगे हो?
भारतीय जनता पार्टी के एक और कद्वावर नेता जिन्हें स्वंय की पार्टी में साढ़े चार साल तक अवहेलना की और चुनाव 2023 में उन्हें पुन: राजनांदगांव सीट से उम्मीदवार बनाया जो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ .रमन सिंह है और डॉ. रमन सिंह को चुनौती देने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने सबसे विश्वसनीय मित्र गिरीश देवांगन पर दांव लगाया. डॉ. रमन सिंह के सामने गिरीश देवांगन कोई बड़ी चुनौती नहीं है ऐसा लगता है लेकिन देवांगन बहुल क्षेत्र राजनांदगांव में 10,000 लोग लगभग चिटफंड के चंगुल में फंसे है और आर्थिक नुकसान झेल रहे है जिन्हें भूपेश सरकार से राहत की उम्मीद थी, और वो पूरी भी हो रही है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में डा रमन सिंह के कानों में जू तक नहीं रेंगा.
गिरीश देवांगन को खनिज निगम का अध्यक्ष बनाकर भूपेश बघेल ने उन पर विश्वास जताया वहीं रमन सिंह के चुनाव क्षेत्र में लगतार 10 सालो से सक्रिय रेत माफिया के आरोप से जाने – जाने वाले और जिन पर ये भी आरोप है कि वर्तमान में भी कांग्रेस के किसी मंत्री से उनकी गहरी सांठगांठ है और पूर्व सरकार में भी एक ऐसे मंत्री से घनिष्ठता थी जो बात-बात पर बांहे चढ़ाकर अधिकारियों को गाली देते थे और वर्तमान में रायपुर से उम्मीदवार है.
रेत माफिया के नाम के आरोप से घिरे भावेश बैद जो डॉ. रमन सिंह के चुनाव संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहें और उन्हीं के इशारों पर मीडिया से लेके अन्य संबधि के लोग समर्पित है. वहीं भारतीय जनता पार्टी के राजनांदगांव के वरिष्ठ नेता एवं सक्रिय नेता अपने आपा को अपमानित महसूस कर रहे है. आने वाले समय ही बतायेगा कि राजनांदगांव में डॉ.रमन जीतेंगा या नहीं, जीतेंगे तो भी तो कितने मार्जिन से ये महत्वपूर्ण इसलिए भी होगा यदि ले देके भारतीय जनता पार्टी की सरकार आती तो मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा?, लेकिन कका जिस तरह धूआंधार घोषणा वीर बने है उससे लगता है भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के लिए सत्ता सुख अभी दिन के सपने है. वहीं भारतीय जनता पार्टी को अपने नेताओं को अपने विरोधी उम्मीदवारों से ज्यादा माफियाओं से बचाना चाहिए.