
बीएसपी अनाधिशासी कर्मचारी संघ ने NJCS मे बाहरी तथा गैर निर्वाचित नेताओ पर रोक लगाने तथा केवल रिकॉगनाईज्ड युनियनो के प्रतिनिधियो को ही एनजेसीएस मे शामिल करने हेतु शिकायती पत्र केंद्रीय इस्पात मंत्री और केंद्रीय श्रम मंत्री को भेजा था. उस पत्र पर श्रम मंत्री ने संज्ञान लेते हुए मुख्य श्रमायुक्त (केंद्रीय) को हस्तांतरित किया. मुख्य श्रमायुक्त केंद्रीय ने उप मुख्य श्रमायुक्त केंद्रीय रायपुर को मामले की विस्तृत छानबीन कर रिपोर्ट हस्तांतरित करने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि NJCS मे पाँचो युनियनो को तीन तीन नॉमिनेटेड सीट देने का प्रावधान है. उसमे भी आश्चर्य की बात यह भी है कि आज तक सेल स्तर पर कभी भी सदस्यता वेरिफिकेशन नही हुआ है फिर भी सभी युनियनो को तीन तीन सीट दिया जा रहा है.
NJCS मे युनियन प्रतिनिधियो के रुप मे 25 नेता भाग लेते है जिसमे सिर्फ 5 नेता ही निर्वाचित है. बाकि नेता या तो पाँचो युनियनो के अध्यक्ष, महासचिव है या उनके द्वारा मनोनित व्यक्ति. 20 नेताओ मे अधिकतर कई दशक से बगैर निर्वाचन और सदस्यता वेरिफिकेशन का ही NJCS मे कर्मचारियो का प्रतिनिधित्व कर रहे है.
वही आश्चर्य की बात यह भी है कि आरआईएनएल जो अलग नवरत्ना स्टील पीएसयु है वहाँ से युनियन प्रतिनिधि के रुप मे मात्र एक निर्वाचित प्रतिनिधि ही NJCS मे भाग लेते है.
जबकि पाँचो इंटिग्रेटेड स्टील प्लांट मे सिर्फ दो युनिट राउरकेला तथा बीएसपी मे ही रिकॉगनाईज्ड युनियन का चुनाव होता है. वही स्पेशल स्टील प्लांट मे सिर्फ सेलम और भद्रावती मे ही रिकॉगनाईज्ड युनियन का चुनाव होता है.
बोकारो, बर्नपुर, दुर्गापुर एलॉय दुर्गापुर तथा सीएफपी चंद्रपुर मे सेक्रेट बैलेट इलेक्शन के तहत चुनाव कराए बगैर सेवानिवृत कर्मचारी और खास युनियनो को रिकॉगनाईजेशन का लाभ दिया जा रहा है.
औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 तथा अन्य श्रम कानुनो मे कही भी नॉमिनेटड सीट देने का प्रावधान नही है. वही NJCS न तो निबंधित संस्था है तथा न ही इसके आय व्यय का लेखा जोखा कर्मियो को पता है. जबकि सेल प्रबंधन सेल की वार्षिक रिपोर्ट मे एनजेसीएस मिटिंग पर 4 करोड़ 26 लाख रुपया खर्च करने का आँकड़ा दी है.
अध्यक्ष अमर सिंह का कहना है कि NJCS निबंधित संस्था नही है. यह इस्पात मंत्रालय द्वारा पारस्परिक सहमती के आधार पर बनाई गई एक कमिटी मात्र है. जिस मे बाहरी तथा सेवानिवृत नेताओ ने कब्जा कर लिया है. जबकि औद्योगिक विवाद अधिनियम के तहत केवल निर्वाचित प्रतिनिधि ही कर्मचारियो का प्रतिनिधित्व कर सकते है.
वर्तमान मे एनजेसीएस मे प्रतिनिधियो की अज्ञानता, अदुरदर्शिता तथा प्रबंधन समर्थक छवि ने सेल तथा बीएसपी कर्मियो का काफी नुकसान किया है. जिसके कारण सेल तथा बीएसपी कर्मियो का मुद्दो का संविधान बन गया है. इतने मुद्दे अटके हुए है कि कर्मचारी सिर्फ डीए, बेसिक, पर्क्स पर आ गए है.