
बिलासपुर- गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के दसवें दीक्षांत समारोह में हिस्सा लेने तथा विद्यार्थियों को उपाधि प्रदान करने पहुँची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने चंद्रयान मिशन के माध्यम से जीवन की सफलताओं के सूत्र बताए. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के चंद्रयान ने चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग की. इस पर बरसों से निष्ठापूर्वक काम होता रहा. मार्ग में रूकावटें आती रहीं लेकिन हम नहीं रूके. ऐसा व्यक्तिगत जीवन में भी होता है. निरंतर दक्षता के साथ परिश्रम करते रहें तात्कालिक सफलता से कभी हताश न हो, चुनौतियाँ हमारे जीवन में आती हैं तो नये मौके भी लाती हैं. उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने इस अवसर पर 2946 छात्र-छात्राओं को उपाधि प्रदान की. समारोह में राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया.
जय जोहार के साथ अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए राष्ट्रपति ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हमारा तिरंगा चाँद पर पहुँच चुका है. यह ऐतिहासिक उपलब्धि का विषय है. इस उपलब्धि को किस तरह वैज्ञानिकों ने प्राप्त किया. इस संबंध में विश्वविद्यालय में आयोजन होने चाहिए ताकि समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण यानी साइंटिफिक टेंपर का निर्माण हो सके. यह संविधान के मूल कर्तव्यों में शामिल है. मुझे खुशी है कि इस विश्वविद्यालय में आधुनिक प्रयोगशालाएं हैं. यहाँ ऐक्सलरेटर आधारित रिसर्च सेंटर भी स्थापित की गई है. अपने अनुसंधान से यह विश्वविद्यालय दुनिया में अपनी पहचान बनाएं. जो देश विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपनाने में आगे रहेंगे, वे ज्यादा तरक्की करेंगे. हमारे स्पेस मिशन में हमें दुनिया से कुछ असहयोग का सामना भी करना पड़ा, फिर भी हम दृढ़ता से बढ़ते रहे.
राष्ट्रपति ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का महत्व इसलिए भी है क्योंकि इसका नाम गुरु घासीदास के नाम पर है. उन्होंने मनखे मनखे एक समान का संदेश दिया. गुरु घासीदास ने समानता का संदेश दिया. समानता के आदर्शों पर चलकर ही युवा सुख के रास्ते पर चल सकते हैं और सभ्य समाज का निर्माण कर सकते हैं.
इस मौके पर राष्ट्रपति ने स्वामी विवेकानंद को भी याद किया. उन्होंने कहा कि रायपुर का हवाई अड्डा स्वामी विवेकानंद के नाम पर है. वे शारीरिक स्वास्थ्य के साथ खेलकूद को भी महत्व देते थे. स्वामी जी आत्मविश्वास की मूर्ति थे. स्वामी जी ने शिकागो में भारतीय संस्कृति की श्रेष्ठता का विश्वघोष किया था. उस समय भारत में गुलामी की मानसिकता अपने चरम पर थी. एशिया के लोग हीनता की भावना से ग्रस्त थे. ऐसे वातावरण में विवेकानंद ने भारत का नाम बढ़ाया. युवा पीढ़ी को स्वामी विवेकानंद से प्रेरणा लेनी चाहिए.
राष्ट्रपति ने कहा कि मुझे खुशी है कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले 76 विद्यार्थियों में 45 छात्राएं हैं जो कुल संख्या का लगभग 60 प्रतिशत है. विश्वविद्यालय में 47 प्रतिशत छात्राएं पढ़ रही हैं. महिला सशक्तिकरण की दिशा में यह बड़ा कदम है. देश की आधी आबादी महिलाओं की है. इन्हें सशक्त करने से देश और मजबूत होगा.
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के आसपास के क्षेत्र में आदिवासी समुदाय काफी है. राज्य की एक तिहाई आबादी जनजातीय है. जनजातीय समुदाय के प्रति संवेदनशीलता और महिलाओं की भागीदारी जैसे विषय बहुत महत्वपूर्ण है. विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में अच्छा कार्य किया जा रहा है. राष्ट्रपति ने उपाधि समारोह के मौके पर उपलब्धि के लिए विद्यार्थियों को बधाई दी. साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों की इस उपलब्धि के लिए उनके अभिभावकों तथा विश्वविद्यालय के टीचिंग स्टाफ के योगदान को भी रेखांकित किया.