
छत्तीसगढ़ ही नहीं पूरे भारत में सोने को लेकर विशेष आकर्षण होता है, जिस महिला के गले में जितना तोला सोने का आभूषण, उसे उतना ही बड़ा और प्रभावशाली माना जाता है. लेकिन आपको पता है कि आपका सोना कितना खरा है? किसी जमाने में सोनार की जुबान भरोस की होती थी, आज हो रही घटनाओं और धोखाधड़ी के बढ़ते प्रकरण ने सोने की विश्वसनीयता खो दी है. आज सोने को देखकर कोई भी दावे के साथ नहीं कह सकता कि उसका सोना सोलह आने खरा है. जैसे-जैसे सोने के भाव बढ़े, उससे आभूषण बनाने वाले और उसे बेचने वालों की नीयत में खोट आने लगी. यानी पहले नीयत में खोट आई फिर सोने में. यही वजह है कि हमारे आसपास लगभग सभी लोग कभी न कभी खरे सोने की उम्मीद में ठगे गए हैं. मजेदार बात यह है कि हमें उसका पता भी नहीं चलता. शायद यही कारण है कि भारत सरकार द्वारा दशकभर पहले से सोने की गुणवत्ता निशान बीएसआई हॉलमार्क को अनिवार्य कर दिया गया है, लेकिन हमारे आसपास के सोनार उसे लागू होने नहीं दे रही हैं. वे तरह-तरह की बातें फैलाकर हॉलमार्क का विरोध कर रहें हैं. लेकिन ग्राहक भी इस मकड़जाल से बाहर नहीं आ पा रहें हैं.हॉलमार्क वाले आभूषण खरीदने जाते हैं तो वह कुछ ज्यादा ही महंगा लगता है और अपने सोनार के पास जाते हैं तो उसके मिलावटी होने का खतरा बना रहता है. आखिर ग्राहक कैसे इसे समझें, इसके लिए छत्तीसगढ़ आजतक की विस्तृत रिपोर्ट पढ़िये…..
प्रतिष्ठा और निवेश ने बढ़ाई सोने की कीमतें
सोना हर प्रमुख अवसरों पर खरीदा जाता है. भारतीय परिवार में जब खुशी का मौका हो, सोना खरीद लिया जाता है. चाहे शादी हो या फिर बच्चे की छट्ठी. या फिर अनाज से पैसे मिले हों या फिर धनतेरस की उमंग. हर कोई थोड़ा-थोड़ा सोना खरीदने की जरूर कोशिश करता है. खासकर तब जब सोने की कीमतें आसमान छूने लगीं. कभी अनाज के भाव में सोने की कीमतें होती थी. यानी अनाज महंगा होता था, सोना खरीदना सस्ता. लेकिन जब से सोना प्रतिष्ठा और प्रदर्शन की वस्तु बनी है, तब से सोने की कीमतों को पंख लग गए. सोने की कीमतों में भारी इजाफा और होने लगा, जब यह निवेश का जरिया माना जाने लगा. आज स्थिति यह हो गई है कि सोना खरीदना हर किसी के बस में नहीं रह गया है.
आज भी भरोसा पारिवारिक सोनार पर ही
सोना खरीदना हर किसी के लिए आर्थिक सुरक्षा का जरिया माना जाता है. सोना हो तो उसे पहनकर प्रतिष्ठा कमाई जाती है और जब आपात स्थिति बनती है तो उसे बेचकर पैसे बना लिये जाते हैं. सोना खरीदने के लिये भारतीय मानसिकता भरोसे की होती है. वह कहीं से भी सोना नहीं खरीदता. जहां से उसके दादा-परदादा सोना खरीदते रहे हैं, वह भी वहीं से ही सोना खरीदता है. यह विश्वसनीयता बहुत बड़ी थी, लेकिन ज्यादातर व्यवसायियों ने इस भरोसे को कायम नहीं रखा, जिसके कारण आज हर कोई सोने में ठगा जा रहा है. पहले तो भाव कुछ बताया जाता है, और रेट कुछ लगाया जाता है. सोनार आपसे 24 कैरेट का भाव लेता है और जो आभूषण आपको देता है वह 22 कैरेट का होता है. यहीं पर सबसे बड़ा घालमेल कर दिया जाता है. हालांकि छत्तीसगढ़ के कुछ गहने ऐसे हैं, जिन्हें 24 कैरेट से ही बनाया जाता है, जैसे की गोपचेन. गोपचेन में शुद्ध सोने का उपयोग किया जाता है, क्योंकि यह केवल सोने के तार से बनाया जाता है. इसी तरह कंठी माला और कुछ छत्तीसगढ़ी आभूषण हैं, जिनमें शुद्ध सोने का उपयोग होता है. फिर भी आजकल इन आभूषणों में भी मिलावट होने लगी है. यह तो हो गई कैरेट के नाम पर धोखाधड़ी की बात. फिर बारी आती है वजन की. वजन में अशुद्धियों को गिना जाता है, जो 10 से 25 प्रतिशत तक होता है. इसका पता हमें तब लगता है जब हम अपने आभूषण को बेचने जाते हैं. वही सोनार उसमें 10 से 25 प्रतिशत तक अशुद्धियां काटकर 75 फीसदी वजन का ही पैसा देता है. इसके साथ ही आभूषण की बनवाई में 250 से 300 रूपए प्रति ग्राम की बनवाई ली जाती है. यानी यदि दो तोला सोने का जेवर लेते हैं तो उसमें 25 प्रतिशत अशुद्धि और बनवाई के छह हजार पहले ही घाटे में जाते हैं. एक लाख का सोना लेने पर 70 हजार का ही शुद्ध सोना हमें मिलता है. लेकिन इसका कोई देखने वाला नहीं है. भारत सरकार ने सोने के सभी आभूषणों पर हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी है, लेकिन ज्वेलर्स इसे मानने को तैयार नहीं हैं, क्योंकि हालमार्किंग में सोने की अशुद्धियों का पता चल जाता है.
सोने में होती है केडीएम और तांबे की मिलावट
कई सुनार केडीएम को भी शुद्ध बताकर बेचते हैं, लेकिन इसमें कैडमियम नामक तत्व होता है, जोकि फेफड़ों के लिए हानिकारक होता है. साथ ही, इसमें तांबे की मिलावट भी होती है. इस तरह के फ्रॉड से बचने के लिए आभूषण या सोने की किसी भी वस्तु पर अंक जरूर देखें. यहां पर सबसे अहम बात यह है कि अखबारों में प्रतिदिन छपने वाले या टीवी पर दिखाए जाने वाले सोने के दाम 24 कैरट गोल्ड के होते हैं. इसलिए अगर आप 23, 22 या कम कैरट का सोना खरीद रहे हैं, तो दाम कम होंगे.
सोने की पहचान में पूरी तरह पारंगत होना तो आसान नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर आप गलत चीज खरीदने से बच सकते हैं. बाजार में सोने के दाम 50 हजार प्रति 10 ग्राम के ऊपर बने हुए हैं. हफ्ते के पहले दिन भी सोने के भाव में तेजी देखने को मिली. महंगाई के इस दौर में अगर दुकानदार आपके साथ छल करे तो क्या आप बर्दाश्त कर पाएंगे. शायद नहीं! खासकर त्योहारी सीजन और शादियों पर इनकी खरीदारी ज्यादा होती है. यही वजह है कि सोने और ज्वेलरी की शुद्धता को लेकर सरकार भी गंभीर है. सोने से बनी ज्वेलरी पर हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया गया है.
24 कैरट गोल्ड की नहीं बनती ज्वेलरी
हॉलमार्किंग योजना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत संचालन, नियम और विनियम का काम करती है. सबसे पहली बात यह कि असली सोना 24 कैरट का ही होता है, लेकिन इसके आभूषण नहीं बनते, क्योंकि वो बेहद मुलायम होता है. आम तौर पर आभूषणों के लिए 22 कैरट सोने का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें 91.66 फीसदी सोना होता है. हॉलमार्क पर पांच अंक होते हैं. सभी कैरट का हॉलमार्क अलग होताहै. मसलन 22 कैरट पर 916, 21 कैरट पर 875 और 18 पर 750 लिखा होता है. इससे शुद्धता में शक नहीं रहता.
ऐसे पहचानें असली हॉलमार्क
हॉलमार्किंग में किसी उत्पाद को तय मापदंडों पर प्रमाणित किया जाता है. भारत में बीआईएस वह संस्था है, जो उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराए जा रहे गुणवत्ता स्तर की जांच करती है. अगर सोना-चांदी हॉलमार्क है तो इसका मतलब है कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. लेकिन, कई ज्वेलर्स बिना जांच प्रकिया पूरी किए ही हॉलमार्क लगा रहे हैं. ऐसे में यह देखना जरूरी है कि हॉलमार्क ओरिजनल है या नहीं? असली हॉलमार्क पर भारतीय मानक ब्यूरो का तिकोना निशान होता है. उस पर हॉलमार्किंग सेंटर के “लोगो” के साथ सोने की शुद्धता भी लिखी होती है. उसी में ज्वेलरी निर्माण का वर्ष और उत्पादक का “लोगो” भी होता है. गोल्ड ज्वेलरी खरीदते वक्त सबसे पहले उसकी शुद्धता का पता लगाएं. 24 कैरट गोल्ड सबसे शुद्ध होता है. गोल्ड ज्वेलरी 22 या 18 कैरट के सोने से बनती है. मतलब 22 कैरट गोल्ड के साथ 2 कैरट कोई और मेटल मिक्स किया जाता है. ज्वेलरी खरीदने से पहले हमेशा ज्वेलर से सोने की शुद्धता जान लें.
घर में ऐसे कर सकते हैं सोने की पहचान :-
- आप विनेगर की मदद से भी सोने की पहचान कर सकते हैं. विनेगर की कुछ बूंदों को सोने की ज्वेलरी पर डालें अगर इसके रंग में कोई बदलाव नहीं होता तो समझिए सोना असली है. वहीं, अगर इसका रंग बदलता है तो यह नकली है.
- अगर आप खुद असली सोने के बारे में पता लगाना चाहते हैं तो आप इस एसिड टेस्ट से आसानी से पता लगा सकते हैं. इसके लिए आप पिन से सोने पर हल्का सा खरोच लगाएं और फिर उस खरोच पर नाइट्रिक एसिड की एक बूंद डाले. नकली सोना तुरंत ही हरा हो जाएगा, जबकि असली सोने पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
- असली सोने की पहचान करने के लिए आप ये मैग्नेट टेस्ट भी कर सकते हैं. सोना चुंबक पर चिपकता नहीं है, इसलिए एक स्ट्रांग चुंबक लें और उससे सोने को चिपकाएं. अगर सोना थोड़ा सा भी चुंबक की ओर आकर्षित होता है तो मतलब सोने में कुछ नाकुछ दिक्कतहै. इसलिए चुंबक से चैक करके ही सोना खरीदें.
- असली और नकली सिक्कों की पहचान उसकी खनक से की जाती है. मेटल पर असली चांदी का सिक्का गिराने पर भारी आवाज, जबकि नकली सिक्का लोहे की तरह खनकता है. प्राचीन और विक्टोरियन सिक्के गोल व घिसे रहते हैं, जबकि नकली सिक्कों के किनारे कोर खुरदुरी रहती है.
- सोने की कीमत उसके कैरेट के हिसाब से होती है और जितने ज्यादा कैरेट का सोना होगा, उतना ही महंगा होगा. इसलिए कैरेट देखकर उसकी कीमत की जानकारी रखें. दरअसल हम सोना खरीदते वक्त 24 कैरेट के सोने के भाव देखते हैं और ज्वैलरी के लिए 22 कैरेट खरीदते हैं, जिसकी कीमत बहुत कम होती है. इसके लिए 24 कैरेट सोने के भाव में 24 का भाग दें और 22 से गुणा करें इससे आपको 22 कैरेट सोने की कीमत पता चल जाएगी.
गहनों की कीमत तय करने का गणित
जूलरी का अंतिम दाम = सोने की कीमत (22 कैरट या 18 कैरट) X ग्राम में भार + बनाने के यानी मेकिंग चार्ज + (जूलरी की कीमत +मेकिंग चार्ज) पर 3% जीएसटी
इसे उदाहरण से और समझते हैं. मान लेते हैं कि जूलर 10 ग्राम के 22 कैरट गोल्ड का रेट 27,350 रुपये लगाता है. अगर आपको 9.6 ग्राम की सोने की चेन खरीदनी है तो उसका रेट ऐसे कैलकुलेट होगा-
1 ग्राम गोल्ड की कीमत=27,350 रुपये/10 = 2,735 रुपये
9.60 ग्राम गोल्ड चेन की कीमत= 2,735 X 9.60 =26,256 रुपये
मेकिंग चार्जेस (मान लेते हैं ये 10% हैं)= 26,256 का 10%= 2,625.60 रुपये
अभी तक का कुल रेट= 26,256+2,625.60= 28,881.60 रुपये
28,881.60 रुपये पर 3% जीएसटी =866.44 रुपये
अंतिम रेट= 29,748.04 रुपये (26,256 रुपये + 2,625.60 रुपये + 866.44 रुपये)
आमतौर पर ज्वैलर्स 22 कैरट यानी 91.6 फीसदी शुद्धता वाले गोल्ड ज्वैलरी की बिक्री करता है. इन गहनों पर 915 हॉलमार्क होता है. 18 कैरट की ज्वैलरी में 75 फीसदी शुद्ध सोना होता है.
जानें सोने की शुद्धता
सोना – शुद्धता
24 कैरट – 99.9
23 कैरट – 95.8
22 कैरट – 91.6
21 कैरट – 87.5
18 कैरट – 75.0
17 कैरट – 70.8
14 कैरट – 58.5
9 कैरट – 37.5
सरकारी गारंटी है हॉलमार्क
हॉलमार्क सरकारी गारंटी है, मतलब कि उसकी शुद्धता प्रमाणित है. हॉलमार्क एक चिन्ह होता है जिसे भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) सोने -चांदी के सिक्कों और गहनों की शुद्धता को प्रमाणित कर अंकित करते हैं. यह पांच अंक का होता है और सभी कैरट का हॉलमार्क अलग होता है. हॉलमार्क वाले सोने के गहने पर एक नंबर लिखा होता है. हर नंबर का एक मतलब होता है.
हॉलमार्क – शुद्धता
375 – 37.5%
585 – 58.5%
750 – 75.0%
916 – 91.6%
990 – 99.0%
999 – 99.9%