
भिलाई- 13 साल की एक बालिका एक दुर्लभ रोग के साथ मित्तल हॉस्पिटल पहुंची है. बालिका सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (एसएलई) से पाड़ित है. भारत में इस बीमारी की मौजूदगी प्रति दस लाख लोगों में 30 के बीच होती है. इस बीमारी में हृदय, फेफड़े, गुर्दे और मस्तिष्क भी प्रभावित हो सकते हैं और इससे जीवन को खतरा भी हो सकता है.
वरिष्ठ गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ विजय वच्छानी ने बताया कि यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें हालत बिगड़ जाने पर रोग की सक्रियता अलग-अलग चरणों में सामने आती है. बालिका के शरीर पर सूजन था. मूत्र विसर्जन भी काफी कम था और उसमें रक्त भी जा रहा था. त्वचा पर लाल चकत्ते थे. रक्तचाप 180/110 था और क्रिएटिनिन की मात्र 2.4 थी जो कि एक असामान्य स्थिति है.
जांच करने पर आशंका सच साबित हुई. बालिका SLE (systemic lupus erythematosus) से पीड़ित थी. उसका इलाज प्रारंभ कर दिया गया है. पर यह इलाज काफी लंबा अर्थात 3 से 5 साल तक चल सकता है. इसके बाद भी बालिका को अनेक सावधानियां बरतनी होंगी तथा नियमित अंतराल में अपना चेकअप कराना होगा.
डॉ वच्छानी ने बताया कि महिलाओं में यह रोग पुरुषों के मुकाबले 10 गुना अधिक पाया जाता है. सही इलाज न होने पर अधिकांश मामलों में किडनी फेल हो जाती है. फिर डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प रह जाता है.