
भिलाई- पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी सृजन पीठ द्वारा इंडियन कॉफी हाउस सभागार सेक्टर 10 में डॉक्टर प्रमोद वर्मा स्मृति व्याख्यानमाला के अंतर्गत ‘निबंध की परंपरा और पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी’ विषय पर गोष्ठी हुई. इस अवसर पर मुख्य वक्ता वरिष्ठ समीक्षक डॉ.जयप्रकाश ने कहा कि बख्शी जी तरलता, सरलता और बौद्धिकता के बोझ से मुक्त थे. यह विशेषताएं उनके लेखन में भी दिखती हैं. उनके लेखन में रम्यता और रंजकता का समावेश है. उनका साहित्य उन्मुक्त और आत्मक परक होने के साथ-साथ भाषाई छल एवं वाग्जाल से परे है. उन्होंने कहा कि हिंदी साहित्य में भारतेंदु युग के बाद बख्शी जैसे रचनाकारों ने लेखन में शाब्दिक बोझ से परहेज किया. द्विवेदी युगीन निबंधकारों में पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का महत्वपूर्ण स्थान है. नई पीढ़ी में निबंध लेखन को लेकर कोई उत्साह या जागरूकता नहीं बल्कि शून्यता का वातावरण है. उन्होंने ललित निबंधों पर भी विस्तार पूर्वक जानकारी दी, साथ ही निबंध परंपरा पर विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से अपनी जानकारी की पुष्टि की.
अध्यक्षीय उद्बोधन में वरिष्ठ व्यंग्यकार रवि श्रीवास्तव ने कह कि डॉ. प्रमोद वर्मा, चूंकि सृजनपीठ के प्रथम अध्यक्ष रहे हैं, उनकी स्मृति को अक्षुण्ण बनाए रखने व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाना स्तुत्य है. उन्होंने बक्शी जी को ऋषि तुल्य रचनाकार निरूपित करते हुए पूर्व में आयोजित ‘त्रिधारा’ कार्यक्रम की चर्चा भी की. आयोजकीय वक्तव्य में बख्शी सृजन पीठ के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा कि व्याख्यानमाला डॉ. प्रमोद वर्मा की स्मृति को समर्पित एक ऐसा आयोजन है, जिसमें निबंध परंपरा को आज की पीढ़ी जान-समझ सके. बख्शी जी के निबंधों के बहाने बीसवीं सदी के बाद हिंदी की कमियों को उजागर करने में अन्य रचनाकारों के साथ-साथ डॉक्टर प्रमोद वर्मा का भी योगदान रहा है.उन्होंने साहित्य लेखन को एक नई दिशा दी और किस ओर दिशा निर्धारण हो, इसे भी तय किया. ललित कुमार ने डॉक्टर प्रमोद वर्मा स्मृति व्याख्यानमाला की विस्तृत जानकारी भी दी.
कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर अंबरीश त्रिपाठी एवं आभार व्यक्त व्यंग्यकार विनोद साव ने किया. आयोजन में वरिष्ठ लेखक कनक तिवारी, विजय वर्तमान, डॉक्टर नलिनी श्रीवास्तव, संतोष झांसी, डॉ अशोक सैमसंग, आशा झा, डॉ रजनीश उमरे, डॉ.अभिनेष सुराना, संध्या श्रीवास्तव, अनुराधा बक्शी, डॉ.डीपी देशमुख, परमेश्वर वैष्णव, प्रदीप भट्टाचार्य, प्रदीप वर्मा, मुमताज, नरेश विश्वकर्मा, के.डी. खरे, कल्याण सिंह साहू, बी. पी .तिवारी, शुचि, भवि , शीशलता ‘ शालू ‘ मनीषा मुखर्जी, बेलमती पटेल, कमलेश वर्मा, पुन्नू यादव, हितेश साहू, सनत मिश्रा, तेजस तिवारी, एन.एल. मौर्य सहित बड़ी संख्या में विद्वत्जन उपस्थित थे.