
किसी भी समाज में अपराध का बढ़ता ग्राफ चिंता का विषय होता है. यह राज्य की सभी उपलब्धियों पर भारी पड़ सकता है. स्थिति तब और ज्यादा गंभीर हो जाती है जब इसमें युवाओं की भागीदारी अधिक हो. छत्तीसगढ़ भी आज इसी दोराहे पर खड़ा है. स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि स्वयं गृहमंत्री को अपराधियों की सूची पुलिस अधिकारियों के मुंह पर मारनी पड़ रही है. चिटफंड, भू-माफिया, नशीले पदार्थों के तस्कर, जुआ-सट्टा, कबाड़ी, सफेदपोश अपराधी सभी के लिए राज्य इस समय एक चारागाह जैसा बना पड़ा है. सायबर क्राइम भी खूब हो रहे हैं. ऐसा हो नहीं सकता कि पुलिस को इसकी खबर न हो. बावजूद इसके, किसी तरह की धरपकड़ का नहीं होना, नाना प्रकार के संदेहों को जन्म देता है. इसकी वजह से न केवल सरकार की छवि धूमिल हो रही है बल्कि जनता भी दहशत में जी रही है.
आज उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को शहर भेजने वाले माता-पिता इस आशंका में जीते हैं कि उनके बच्चे किसी गलत सोहबत में न पड़ जाएं. उनके साथ कोई अनिष्टकारी घटना न हो जाए. गृहमंत्री द्वारा उछाली गई अपराधियों की सूची यह भी खुलासा करती है कि किस तरह अपराधियों ने राजनीतिक दलों में अपनी पैठ बना रखी है. एक प्रमुख स्थानीय दैनिक ने यह सूची छापी है जिसमें 150 अपराधियों/संदिग्धों के नाम हैं. सूची में तीन वर्तमान और दो पूर्व पार्षदों के भी नाम हैं. ऐसे ही नाम तब भी सामने आए थे जब पुलिस ऑनलाइन क्रिकेट सट्टा से जुड़े लोगों की शिनाख्त कर रही थी. सूची में कुछ दवा दुकानों के भी नाम सामने आए हैं जो नशे के अवैध कारोबार में लिप्त बताए जाते हैं. दुर्ग में स्थिति सर्वाधिक चिंताजनक है. यह स्थिति तब है जब यह प्रदेश का एक वीवीआईपी जिला है.
स्वयं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू का यह गृह जिला है. सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूरस्थ अन्य जिलों का क्या हाल होगा. स्थिति को और गंभीर बनाती है पुलिस की लापरवाही और उदासीनता. कुछ समय पहले नेवई के एक मकान में चोरी हो गई. चोर ताला खोलकर भीतर गए, चोरी की और ताला लगाकर लौट गए. मकान मालिक ने 40 लाख रुपए के सामानों की रिपोर्ट सूची समेत लिखाई. दो लाख नगद, 60 तोला सोना और दो किलो चांदी के इस मामले में पुलिस ने जुमला 40 हजार रुपए दर्ज किया. सरेआम की गई हत्या के एक मामले में पुलिस को पीड़ित पक्ष ने घटना का सीसीटीवी फुटेज तक लाकर दिया पर पुलिस आनाकानी करती रही. चोरों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो सीआईएसएफ तीसरी बटालियन की फेंसिंग तक उखाड़ ले जाते हैं. इन अपराधों में युवाओं की संलिप्तता ही अधिक है. दुर्ग जिले के लिए यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि यह प्रदेश की शिक्षाधानी है. छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय, कामधेनु विश्वविद्यालय एवं हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के अलावा यहां तीन निजी विश्वविद्यालय भी हैं. दर्जन भर अभियांत्रिकी महाविद्यालयों के साथ ही जल्द ही यहां आईआईटी भी प्रारंभ हो जाएगा.
भिलाई-दुर्ग के अनेक रिहायशी इलाकों में अवैध होस्टल्स का संचालन किया जा रहा है. अपने घरों से दूर होस्टल या पीजी में रह रहे ये युवा नशीली दवा, सट्टेबाजी और सायबर क्रिमिनल्स के निशाने पर होते हैं. एक बार इनके चंगुल में फंस गए तो निकलना मुश्किल हो जाता है. ड्रग्स, बेटिंग और सायबर क्राइम कई दूसरी बुराइयों की जड़ है. लेनदेन को लेकर मारपीट, अपहरण, हत्या और आत्महत्या की वारदातें बढ़ रही हैं. पार्टीबाजी का बढ़ता शौक भी इसके लिए परोक्ष रूप से जिम्मेदार है. जगह-जगह कुकुरमुत्तों की तरह उग आए तथाकथित क्लबों में क्या हो रहा है, इसपर भी नजर रखे जाने की जरूरत है. हालांकि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े 2021 की स्थिति को 2018 से बेहतर बता रहे हैं पर यह काफी नहीं है. निश्चित तौर पर छत्तीसगढ़ के क्राइम डिटेक्शन रेट में सुधार हुआ है. पर जरूरत क्राइम को रोकने के उपाय करने की भी है. क्या पुलिस बता सकती है कि शहर में कितने अवैध होस्टल हैं? क्या लोग किराएदारों की सूची पुलिस थानों को देते हैं? क्या लोग बाहरी लोगों को काम पर रखने से पहले उसका पुलिस वेरीफिकेशन करवाते हैं? पुलिस ने अवैध नशे की कई खेपें पकड़ी हैं पर क्या कभी उनके स्रोत या ग्राहकों को सूचीबद्ध करने की कोशिश की गई हैं? भिलाई-दुर्ग ट्विन सिटी में ऐसे कई अय्याशी के अड्डे हैं जहां तमाम किस्म के अपराध होते हैं और पैसा पानी की तरह बहता है. इससे पनप रही अपसंस्कृति राज्य के सभी किए धरे पर पानी फेर सकती है. इस पर गंभीरता से विचार करने के साथ ही प्रतिबंधात्मक उपाय करने की जरूरत है. इसमें समाजशास्त्रियों एवं मनोवैज्ञानिकों की भी मदद ली जा सकती है. सनद रहे विकास का लाभ भी तभी मिलेगा जब राज्य में अमन-चैन सुनिश्चित हो.