
छत्तीसगढ़ में आलू की खेती खूब होती है. खासकर इस समय किसान रबी सीजन के लिए आलू की बुवाई करते हैं. आलू की खेती के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि किसान उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में रबी आलू की उन्नत किस्मों की बुआई जारी रखें.
आलू बुवाई करने के 21 दिन बाद पहली सिंचाई करें. इसके अलावा जो पहले से आलू की बुवाई कर चुके हैं वो आलू, टमाटर, पत्तेदार सब्जियों की सुरक्षा के लिए मल्चिंग और हल्की सिंचाई करें ताकि ठंड के प्रभाव से पौधौं को सुरक्षित रखा जा सके.
बस्तर के पठारी क्षेत्रों के किसानों के लिए जारी किए गए सलाह में कहा गया है कि वो आवश्यक बीजोपचार के बाद आलू की बुवाई एवं बैंगन की रोपाई करना जारी रखें. तापमान में कमी और शुष्क मौसम रहने के कारण खड़ी फसलों में पीली शिरा मोज़ेक का प्रकोप हो सकता है, इसलिए खेत की लगातार निगरानी करते रहें.
रबी सब्जी फसलों की बुआई के लिए नर्सरी की तैयारी जारी रखें. नर्सरी में बेहतर अंकुरण के लिए घटते तापमान को देखते हुए सब्जियों की पौधों को गीली घास से ढक दें. बैंगन में प्ररोह और फल छेदक कीट के नियंत्रण के लिए 12 पीस प्रति हेक्टेयर की दर से फेरोमोन ट्रैप स्थापित करें. इसके अलावा मौसम साफ होने पर कीटनाशक का छिड़काव करें.
छत्तीसगढ़ के मैदानी क्षेत्र में किसानों के लिए सलाह करते हुए कहा गया है कि मौजूदा कम तापमान के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए, फूलगोभी की सिंचाई करे और पत्तागोभी, टमाटर, मटर, मिर्च और बैंगन की फसलों की नियमित रूप से निराई और गुड़ाई करें. गेहूं की फसल में बुआई के 20-25 दिन बाद सीआरआई अवस्था में सिंचाई करें. अरहर की फसल को फली छेदक कीट से बचाने के लिए फेरोमोट ट्रैप लगाए.