
छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण रद्द होने के मुद्दे को लेकर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा
रायपुर- राज्यपाल उईके ने पूछा, अब तक क्या कार्यवाही की गई है? छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनसुइया उइके ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के आरक्षण बहाली के लिए सरकार द्वारा अब तक की गई कार्यवाही की तत्काल जानकारी मांगी है. राजभवन के अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि राज्यपाल उइके ने उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ के निर्णय के बाद अनुसूचित जनजातियों के आरक्षण प्रतिशत में आई कमी के संबंध में मुख्यमंत्री बघेल को पत्र लिखकर इस दिशा में शासन द्वारा की गई कार्यवाही के बारे में जानकारी मांगी है. उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के हालिया निर्णय से अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण 32 प्रतिशत से घटकर 20 प्रतिशत हो गया है, जिससे राज्य के शासकीय पदों में भर्तियों पर भी विराम लग गया है.
अब तक की गई कार्रवाई की मांगी तत्काल जानकारी
अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री से जनजातियों के आरक्षण बहाली के लिए अब तक की गई कार्यवाही और इस दिशा में आगामी प्रयासों की भी जानकारी तत्काल साझा करने को कहा है. मिली जानकारी के अनुसार, राज्यपाल ने पत्र में उल्लेख किया है कि इस आशय से विधानसभा सत्र आहूत कर विधेयक पारित करने या अध्यादेश के माध्यम से समस्या का समाधान संभव हो तो शीघ्र कार्यवाही करें. उन्होंने इस संबंध में राजभवन द्वारा पूर्ण सहयोग करने की बात कही है.
गत् 29 अक्टूबर को कांग्रेस के आदिवासी विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला था. इस दौरान मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया था कि आदिवासी के हित में हर जरूरी कदम सरकार उठाएगी. इसके लिए आदिवासी समाज को बिल्कुल चिंतित होने की जरूरत नहीं है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने अध्यादेश लाने या आरक्षण पर विधानसभा को विशेष सत्र बुलाने का भरोसा दिलाया था. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि आदिवासी के हित और उनके सरंक्षण के लिए संविधान में जो अधिकार प्रदत्त है, उसके पालन के लिए राज्य सरकार सजक होकर कार्य कर रही है. सरकार की स्पष्ट मंशा है कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग को प्रदान किए गए सभी अधिकारों का संरक्षण किया जाएगा. मुख्यमंत्री के बाद राज्यपाल ने भी यह बात कही हैं.
50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण को HC ने बतााय था असंवैधानिक
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सितंबर महीने में राज्य सरकार के वर्ष 2012 में जारी उस आदेश को खारिज कर दिया था जिसमें सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण को 58 प्रतिशत तक बढ़ाया गया था. उच्च न्यायालय ने कहा था कि 50 प्रतिशत की सीमा से अधिक आरक्षण असंवैधानिक है.