
छत्तीसगढ़ में छिपा है युगों का इतिहास
पग-पग में सतयुग, त्रेता और द्वापर की छाप
डॉ.डी.पी. देशमुख-
छत्तीसगढ़- धर्म स्थलों, प्राकृतिक एवं नैसर्गिक छटा से आच्छादित छत्तीसगढ़ महतारी सदैव उत्सुकता का केंद्र रही है. हमारा प्रदेश न सिर्फ ‘धान का कटोरा’ है वरन ‘गढ़ों के प्रदेश’ के रूप में अपनी ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक थाती को समेटे हुए है. छत्तीसगढ़ आज अपनी आंचलिक पहचान को पाने के लिए आतुर है. पर्यटन एवं धर्म-स्थलों की दृष्टि से छत्तीसगढ़ अत्यंत समृद्ध राज्य है. यहां की धरती, वन और खनिज संपदा से तो भरपूर है ही, इसके साथ ही यहां की कला-संस्कृति और पर्यटन स्थल भी विशेष आकर्षण के केंद्र हैं.
छत्तीसगढ़ की पावन भूमि से अनेक धर्म संप्रदायों की उत्पत्ति हुई. यहां 135 से भी ज्यादा धार्मिक पर्यटन स्थल चिन्हांकित किए गए हैं. इनके विकास के लिए राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रयास किए जा रहे हैं. यहां के रमणीय प्राकृतिक स्थल पर्यटकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करते हैं. राज्य सरकार उच्च स्तरीय पर्यटन सुविधाएं विकसित कर रही है. एथनिक रिसॉर्ट, कॉटेज, वाटर स्पोर्ट्स जैसी सुविधाएं विकसित की जा रही हैं. छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा नई दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश के अतिरिक्त प्रदेश के 11 स्थानों पर पर्यटन सूचना केंद्र स्थापित किये गये है, यही कारण है कि देश के पर्यटन नक्शे में छत्तीसगढ़ राज्य तेजी से उभर रहा है, प्रतिवर्ष सैलानियों की संख्या में वृद्धि हो रही है.
राज्य के प्रमुख पर्यटन व दर्शनीय स्थल
छत्तीसगढ़ को दक्षिण कोशल के नाम से जाना जाता है. जिसका उल्लेख रामायण और महाभारत में मिलता है. 36 गढ़ों के कारण इस राज्य का नाम छत्तीसगढ़ पड़ा. यह भारत का 10वां सबसे बड़ा और 16वां सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य है. छत्तीसगढ़ में कई ऐसे स्थल हैं जो विभिन्न कारणों से पर्यटन हेतु महत्वपूर्ण हैं, इसमें से कुछ पुरातात्विक कारणों से महत्वपूर्ण हैं तो कुछ प्राकृतिक दृश्यों और वन्य जीवों के लिए प्रसिद्ध है. प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण प्रदेश के हरे-भरे जंगल और जंगल के बीच अभ्यारण्य, महापुरूषों की जन्म व तप स्थली, सुन्दर और सुरम्य झरने, खूबसूरत पठार, घुमावदार नदियां, जलमग्न बांध आंखों को सुकुन देते हैं. सबसे महत्वपूर्ण है माता कौशिल्या की नगरी –चन्दखुरी. माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की राजकुमारी थी, जिनका विवाह राजा दशरथ से हुआ था, इस नाते भगवान राम छत्तीसगढ़ के भांजे कहलाये. भगवान राम वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ आए. उनके ठहरने के 75 स्थलों को चिन्हांकित कर उन्हें जोड़ने के प्रयास किये जा रहे हैं. इसे राम वन गमन पथ का नाम दिया गया है. यहां के आदिवासी पर्यटकों के लिये एक बड़ा आकर्षण भी है.
पर्यटन के साथ-साथ महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल
भोरमदेव मंदिर, दंतेश्वरी मंदिर, डोंगरगढ़ बमलेश्वरी मंदिर, सिरपुर, प्रयागराज राजिम, कौशल्या माता मंदिर चंदखुरी, रतनपुर महामाया मंदिर, गंगा मईया मंदिर, सियादेही मंदिर, शृंगी ऋषि मंदिर, मैनपाट, दामाखेड़ा, गिरौधपुरी, नगपुरा, चंपारण, शिवरीनारायण, डीपाडीह, खल्लारी, मल्हार, मदकूद्वीप, शबरी, ताला, चैतुरगढ़/लाफागढ़, बंजारी माता, चंद्रहासिनी देवी, कचना घुरूवा, भूतेश्वर महादेव, तुरतुरिया, बारसूर गणेश मंदिर, चंडी मंदिर बागबहरा, घटारानी मंदिर, माँ जतमाई, तुम्मान खोल, शिवमंदिर देवबलौदा, विष्णु मंदिर जांजगीर, दुधाधारी मंदिर, कोसईगढ़, कुटुरमाल, राम वनगमन पर्यटन परिपथ, जंगल सफारी, पुरखौती मुक्तांगन, नंदनवन, मैत्रीबाग, लुतरा शरीफ, शदाणी दरबार, कुटुमसर गुफा, कैलाश गुफा, जोगीमारा, रामगढ़, अरण्य, सिंघनपुर गुफा, चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, चर्रे-भर्रे जलप्रपात, अमृतधारा, राजपुरी, रानीदाह, टाइगर पॉइंट, केंदाई, देवधारा, सातघर जलप्रपात, अचानकमार टाइगर रिजर्व, बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य, गोमर्डा बादलखोल, भोरमदेव, तमोरपिंगला, सेमरसोत, सीतानदी, कांगेर अभ्यारण्य, गुरूघासीदास उद्यान, गंगरेल बांध, बांगो बांध सतरेंगा जलाशय, खुटाघाट, तांदुला, आमदाबाद, खरखरा, माडमसिल्ली, रूद्री जलाशय सहित अनेक पर्यटन स्थल स्थित हैं.
छत्तीसगढ़ पर्यटन मण्डल द्वारा अनेक पर्यटन इकाइयां संचालित की जा रही हैं. इनमें राजधानी रायपुर में होटल जोहार छत्तीसगढ़, धमतरी जिले में बरदिहा लेक व्यू टूरिस्ट काटेज गंगरेल, बस्तर जिले में दंडामी लक्जरी रिसार्ट चित्रकोट और गोरगा टूरिस्ट रिसार्ट तीरथगढ़, महासमुंद जिले में हरेली ईको टूरिस्ट रिसार्ट मोहदा बारनवापारा और व्हेनसांग टूरिस्ट रिसार्ट सिरपुर, मुंगेली जिले में सोनभद्र टूरिस्ट रिसार्ट आमाडोब, बिलासपुर जिले में छेर-छेरा टूरिस्ट काटेज कबीर चबूतरा और गौरा-गौरी लेक व्यू टूरिस्ट काटेज खूँटाघाट, सरगुजा जिले में शैला टूरिस्ट रिसार्ट मैनपाट, बालोद जिला में सुआ लेक व्यू टूरिस्ट रिसार्ट तांदुला, कबीरधाम जिले में नागमोरी टूरिस्ट काटेज भोरमदेव और बैगा टूरिस्ट रिसार्ट सरोधादादर तथा रायपुर जिले में पर्यटक विश्राम गृह चंपारण्य शामिल हैं. पर्यटन मंडल द्वारा नई दिल्ली, गुजरात, मध्यप्रदेश सहित प्रदेश में 9 स्थानों पर पर्यटन सूचना केंद्र स्थापित किया गया है.
पर्यटन से प्रदेश में रोजगार के अवसर
पर्यटन स्थलों में खान-पान एवं आवास की सुविधा युक्त होटल, मोटल, रिसार्ट एवं रेस्टोरेंट की सुविधा विकसित की जा रही है. सभी जिला मुख्यालयों में “गढ़ कलेवा” की स्थापना की गई है, जहां छत्तीसगढ़ी व्यंजन परोसा जा रहा है. पर्यटन स्थलों पर सुविधाओं का जितना विकास होगा, उतने ही रोजगार के अवसर बढेंगे.
सिरपुर शैव, वैष्णव, बौद्ध धर्मों का प्रमुख केंद्र रहा है. महानदी के तट पर बसा सिरपुर पांचवीं से आठवीं शताब्दी के मध्य दक्षिण कौशल की राजधानी था. सिरपुर में सांस्कृतिक व वास्तु कौशल की कला का अनुपम संगठन है. सिरपुर लगभग 10 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है जो बेजोड़ है. यहां पर ईंटों से निर्मित लक्ष्मण मंदिर भारत के सर्वप्रथम मंदिरों में से एक है, जिसका निर्माण 650 ईसवी काल में महाशिव गुप्त बाल अर्जुन की माता वासटा ने अपने दिवंगत पति हर्ष गुप्त की स्मृति में करवाया था. वास्टा मगध के राजा सूर्यवर्मन की पुत्री थी. महा शिव भक्त बाला अर्जुन ने स्वयं शैव मतावलंबी होते हुए भी बौद्ध विहारों को उदारता पूर्वक प्रचुर दान देकर संरक्षण प्रदान किया था. सिरपुर, डोंगरगढ़ और मैनपाट को टूरिज्म सर्किट से जोड़ने की तैयारी की जा रही है. पर्यटन सर्किट से जुड़ जाने से इस ओर सैलानियों का और ज्यादा रुझान बढ़ेगा, जिससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
पर्यटन स्थलों का तेजी से कायाकल्प – ताम्रध्वज साहू पर्यटन मंत्री
हमारा छत्तीसगढ़ प्राकृतिक सौंदर्य, आध्यात्मिक परिवेश, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक इतिहास को समेटे हुए है. यह राज्य देशी विदेशी पर्यटकों के लिए एक रमणीय पर्यटन स्थल है. इंद्रावती नदी पर चित्रकोट जलप्रपात, कवर्धा का भोरमदेव मंदिर, सिरपुर का प्रसिद्ध लक्ष्मण मंदिर और बस्तर दशहरा देश-विदेश में प्रसिद्ध है. छत्तीसगढ़ पौराणिक एवं सांस्कृतिक विरासत में भी बेहद समृद्ध है. भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल का लम्बा समय छत्तीसगढ़ की पावन धरा में बिताया है. इसकी स्मृतियों को सहेजने प्रदेश सरकार द्वारा राम वन गमन परिपथ परियोजना प्रारंभ की गई है. उत्तर में कोरिया से लेकर दक्षिण में सुकमा तक श्रीराम के वनवास काल से जुड़े स्थलों का संरक्षण एवं विकास किया जा रहा है. प्रथम चरण में 9 स्थलों – सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अम्बिकापुर), शिवरीनारायण (जांजगीर चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा शृंगी ऋषि (धमतरी), रामाराम (सुकमा), चित्रकोट (जगदलपुर) में पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही है. सभी पर्यटन तीर्थों को आकर्षक लैण्ड स्केपिंग के पर्यटन सुविधाओं से लैस किया जा रहा है. स्वदेश दर्शन योजना के तहत ट्रायबल टूरिज्म सर्किट परियोजना में 13 डेस्टिनेशन्स को इको टूरिज्म एवं एथनिक टूरिज्म थीम पर विकसित किया गया है. हसदेव बांगो डेम के सतरेंगा में वाटर स्पोर्ट्स पर आधारित पर्यटन केंद्र का भी विकास किया गया है. वाटर कूज एवं बोट की व्यवस्था की जा रही है. राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के पर्यटन केंद्रों को निरंतर विकसित किया जा रहा है.
राम वनगमन पर्यटन परिपथ की थाती – भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जोर-शोर से काम किया जा रहा है. राज्य में ऐतिहासिक, पुरातात्विक, धार्मिक, सांस्कृतिक महत्व के अनेक स्थलों के साथ अनेक सुंदर प्राकृतिक स्थल और जलप्रपात भी है. इन स्थलों पर पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधा विकसित की जा रही है. यह भगवान श्रीराम का ननिहाल है. श्रीराम के वन गमन की स्मृतियों को अक्षुण्य बनाने के लिए 75 स्थलों का राम वनगमन पर्यटन परिपथ के रूप में विकास किया जा रहा है. इसकी कुल लंबाई लगभग 2260 किलोमीटर है. यह देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण के प्रमुख केंद्र होगा. राम वनगमन के 528 किलोमीटर मार्ग के दोनों किनारों पर पीपल, बरगद, आम, हर्रा, बेहड़ा, जामुन, अर्जुन, खम्हार, आंवला, शिशु, करंज, नीम के डेढ़ लाख से अधिक पौधों का रोपण किया जा रहा है. मार्गो के कायाकल्प से राज्य को राजस्व, युवाओं को रोजगार एवं नए बाजारों का सृजन होगा. सिरपुर को बुद्धिस्ट हेरिटेज स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है. माँ बमलेश्वरी देवी मंदिर डोंगरगढ़, प्रज्ञागिरी स्थल का विकास ट्रायबल टूरिज़्म सर्किट के तहत किया जा रहा है. प्राकृतिक छटा से परिपूर्ण इन स्थलों को और भी हरा-भरा किया जा रहा है.
विश्व पर्यटन दिवस पर सरकार का बड़ा तोहफा
विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर आयोजित टूरिज्म के मौके पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल और IRCTC (इंडियन रेलवे केटरिंग एवं टूरिज्म कॉर्पोरेशन) के बीच एमओयू सम्पन्न हुआ, जिसका मकसद IRCTC द्वारा अपने सोशल मीडिया मंच के जरिए छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार करेगा. ज्ञात हो कि IRCTC आपके सोशल प्लेटफार्म के द्वारा विभिन्न राज्यों के पर्यटन स्थलों का प्रचार करता है और खूबसूरत तस्वीरें और वीडियोज के माध्यम से टूरिस्ट को भ्रमण के लिए आकर्षित करते हैं. इसमें अब छत्तीसगढ़ पर्यटन को भी शामिल किया है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ का मोगली कहे जाने वाले टाइगर ब्वाय चेंदरू की मूर्ति का अनावरण किया. इस मूर्ति में चेंदरू के साथ उसका टाइगर मित्र टेंबूू भी है. प्रतिमा अनावरण के पश्चात पर्यटन मंडल ने चेंदरू और टेंबू टाइगर को स्मृति चिन्ह के रूप में मुख्यमंत्री को भेंट दिया. पर्यटन मंडल पूरे देश में छत्तीसगढ़ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिये इस स्मृति चिन्ह का प्रयोग करेगा. मुख्यमंत्री ने एक टाकिंग कॉमिकस भी लांच किया, इस कॉमिक्स ने एक टाकिंग और टेंबू को छत्तीसगढ पर्यटन के आइकॉन के रूप में दर्शाया गया है, इससे पूरे देश के बच्चों को छत्तीसगढ़ के प्रति जागरूक किया जाएगा.
कौशल्या माता मंदिर का जीर्णोद्धार एवं परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य 15 करोड़ 45 लाख रूपये की लागत से किया जा रहा है. राम वन गमन पथ के प्रारंभिक 9 स्थलों के लिए 33 करोड़ 55 लाख रुपए की लागत से पर्यटन की दृष्टि से विकास का कार्य किया जा रहा है. भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय की ‘प्रसाद योजना’ के तहत स्वीकृत इस परियोजना में 43 करोड़ 33 लाख रुपए की लागत से डोंगरगढ़ मां बमलेश्वरी देवी मंदिर की पहाड़ी और प्रज्ञा गिरी पहाड़ी पर विश्वस्तरीय पर्यटन सुविधाएं विकसित की जाएगी, इस परियोजना के पूरा होने से छत्तीसगढ़ का डोंगरगढ़ देश के पर्यटन नक्शे पर महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल के रूप में उभरेगा. राज्य सरकार प्रदेश के अन्य स्थलों के सौंदर्यीकरण एवं विकास के लिए निरंतर प्रयासरत है. राज्य में पर्यटन स्थलों के विकास से पर्यटकों के आने का सिलसिला हर वर्ष बढ़ने लगा है, इससे प्रदेश को राजस्व की प्राप्ति हो रही है. पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी तथा पैकेज टूर एवं रिसोर्ट बुकिंग के लिए टोल फ्री नंबर 1800-102-6415 है.