
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य कब
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी पर शाम में व्रती अस्ताचलगामी सूर्यदेव को प्रथम अर्घ्य अर्पित करेंगे. अर्घ्य अर्पित करने से पूर्व व्रती जल में खड़े होकर आदिदेव भुवन भास्कर को नमन कर एवं परिवार, समाज की सुख-शांति के लिए मंगल कामना करेंगे. इस साल छठ महापर्व में सूर्यदेव को पहला अर्घ्य 30 अक्टूबर, रविवार को दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन – 06:31 am व सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन – 05:38 pm रहेगा.
सुबह 06:32 बजे उदीयमान सूर्य को अर्घ्य
इस वर्ष 31 अक्टूबर 2022, सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. पंचांग के अनुसार इस वर्ष 31 अक्टूबर को सुबह 06.32 बजे सूर्योदय हो रहा है. सभी छठ घाटों पर उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर से सुख समृद्धि और आरोग्यता की कामना की जाएगी. उदयीमान सूर्य को अर्घ्य के साथ ही चार दिनों तक चलने वाले लोक आस्था का यह महापर्व छठ संपन्न हो जाएगा.
छठ पूजा आस्था के महापर्व
भारतीय संस्कृति के सारे आचार विचार का उल्लेख पुराणों में मिलता है सभी अठारह पुराणों में भगवान सूर्य की महिमा बताई गई है, लेकिन सूर्य पुराण में विस्तार से सूर्योपासना के बारे में उल्लेख है. भविष्य पुराण में भी सूर्य के विषय में आचार विचार, नियम के लाभ और कहां से सूर्योपासना प्रारंभ हुई का विस्तृत उल्लेख हैं.
सूर्य षष्ठी व्रत आरंभ के बारे में कहा गया है कि राजा सांब भगवान श्री कृष्ण के पुत्र थे उनको कुष्ठ रोग हो गया था. बहुत उपचार किया गया, लेकिन ठीक नहीं हुए तब एक ऋषि ने सूर्य की उपासना करने को कहा, लेकिन सूर्य उपासना जानने वाले ब्राह्मण दिव्य लोक में रहते थे. उन्होंने उपासना की तो दिव्यलोक से ब्राह्मणों को लेकर गरुण पृथ्वी पर आए. ब्राह्मणों ने 3 दिनों तक यज्ञ और मंत्र का पाठ किया. दिव्य लोक से आए ब्राह्मण बिहार के वैशाली मगध और गया में आकर बसे. यही सूर्य षष्ठी व्रत का पौराणिक पक्ष है.
सूर्य की उपासना का महापर्व छठ पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. इस पर्व पर महिलाएं व्रत रखकर सायंकाल में नदी तालाब या जल से पूरित स्थान में खड़े होकर अस्ताचल गामी भगवान सूर्य को अर्घ्य देती हैं तथा दीप जलाकर रात्रि जागरण के साथ गीत कथा के द्वारा भगवान सूर्यनारायण की महिमा का बखान करती है.