छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल भाजपा की चुनावी सक्रियता से राजनीतिक माहौल गरमा गया है. यद्यपि विधानसभा चुनाव अभी लगभग 6 माह दूर है, लेकिन दोनों दलों में जिस प्रकार ताबड़तोड़ कार्यक्रम हो रहे हैं, उसे देखकर लगता है कि चुनावी दंगल शुरू हो गया है. दोनों पार्टियां ब्लॉक, जिला एवं संभाग स्तरीय सम्मेलन, कार्यकर्ताओं की बैठकें, प्रशिक्षण कार्यक्रम और छोटी-बड़ी रैलियां और प्रदर्शन कर रही हैं. इसे देखकर ऐसा लगता है ‘बूथ मजबूत तो जीत पक्की’ की भावना और संकल्प के साथ दोनों पार्टियों के नेता और संगठन प्रतिनिधि पूरी शिद्दत से जुट गए हैं.
सुरेश प्रसाद गुप्ता-
प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल लगातार प्रदेश के कोने-कोने में दौरा कर जनता की भावनाओं का आकलन कर रहे हैं. इन बैठकों में वे किसान, मजदूर और जनहित में किए जा रहे तमाम कार्यों और उपलब्धियों के साथ ही चल रहे विकास कार्यों की भी समीक्षा कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस का संगठन भाजपा की तुलना में सक्रियता और क्षमता के मुकाबले कमजोर दिखाई दे रहा है. छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने के लिए भाजपा का संगठन ऊपर से नीचे तक सक्रिय हो गया है.
राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि पिछले वर्षों में भाजपा ने वो संघर्ष और सक्रियता नहीं दिखायी जो एक सशक्त विपक्ष को दिखाना चाहिए था. जनता के साथ ही पार्टी के कार्यकर्ता भी ऐसी सक्रियता की अपेक्षा करते हैं. देर से ही सही पर छत्तीसगढ़ भाजपा में ताबड़तोड़ नेतृत्व परिवर्तन हुआ और इसके बाद काफी सक्रियता आई है. पार्टी ने आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है. जातीय और धार्मिक आधार पर भी भाजपा नेता सभी क्षेत्रों में गोलबंदी का प्रयास कर रहे हैं. इस मामले में कांग्रेस संगठन की उदासीनता एवं प्रशासनिक क्षेत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण कई मामलों में भाजपा को घुसपैठ बनाने का अवसर भी मिला है. इसी कड़ी में रतनपुर और नारायणपुर की घटनाएं उल्लेखनीय है.
हर वर्ग को मिला विकास का लाभ- भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ में दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनेगी. इसकी वजह जनाकांक्षा के अनुरूप चौतरफा विकासा हुआ है. सरकार की कल्याणकारी योजनाओं से किसानों, महिलाओं, मजदूर और युवाओं आदि हर वर्ग को लाभ हुआ है. छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति को भी बढ़ाने का काम किया है. शहरी क्षेत्र के साथ ग्रामीण इलाकों में हुए सर्वागीण विकास का भरपूर लाभ हर तबके को मिला है. हमारे इन कार्यों से जनता खुश है, इसलिए कांग्रेस की सरकार बनेगी.
छत्तीसगढ़ की सरकार में घोटाले ही घोटाले- बृजमोहन अग्रवाल
छत्तीसगढ़ में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा की सरकार बनेगी. छत्तीसगढ़ में जो भी विकास हुआ है मोदी सरकार और भाजपा के 15 साल के कार्यकाल में हुआ है. कांग्रेस के साढ़े चार साल के शासनकाल में तो घोटाले ही घोटाले हुये हैं. इस दौरान पीएससी घोटाला के साथ रेत, धान, व्यापम जैसे कई बड़े घोटाले हुए. यदि केंद्र सरकार चावल लेना बंद कर दे तो छत्तीसगढ़ सरकार क्या किसानों की धान खरीद पाएगी.
छत्तीसगढ़ में सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र में भी नई चेतना और प्रगति लाने के लिए मुख्यमंत्री की छवि एक बेजोड़ छत्तीसगढ़िया नेता के रूप में स्थापित हुई है. इन प्रयासों में किसानों और असंगठित मजदूरों तक सीधे आर्थिक लाभ पहुंचाना, आदि शामिल मुख्यमंत्री यदि कांग्रेस संगठन को एकजुट और सक्रिय कर राज्य सरकार के जनहित कार्यों को लेकर जनता के बीच पहुंचे तो वह भाजपा के दुष्प्रचार का मुँहतोड़ जवाब दे सकते हैं. इससे भाजपा को आसन्न चुनावों में पीछे छोड़ने का कार्य आसान हो सकता है. वर्तमान में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की छवि अन्य किसी भी नेता की तुलना में प्रदेश में अधिक प्रभावशाली है. पर राज्य के मंत्रियों, विधायकों और संगठन के प्रभारियों को भी यह ध्यान रखना होगा कि अकेले मुख्यमंत्री का नाम लेकर चुनाव की वैतरणी पार नहीं की जा सकती. अभी हाल ही में संपन्न हुए कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री की छवि को लेकर मैदान में उतरी भाजपा का क्या हश्र हुआ यह सबके सामने है. कांग्रेस नेताओं को भी कर्नाटक से सीख लेनी चाहिए.
फिलहाल राज्य के तमाम मंत्रियों से पार्टी कार्यकर्ता खुश नहीं है.. कार्यकर्ताओं को सत्ता और संगठन से अपेक्षित सहयोग न मिलने की शिकायतें भी जगह-जगह देखने को मिली है. संभाग स्तर पर बात करें तो बस्तर संभाग में सांसद दीपक बैज और मंत्री कवासी लखमा की सक्रियता और लोकप्रियता बरकरार दिखती है. लेकिन अन्य विधायकों और संगठन पदाधिकारियों को अपनी छवि सुधारनी होगी. इसी प्रकार दुर्ग संभाग में भी जहां मुख्यमंत्री का अपना गृह क्षेत्र भी है, संगठन के स्तर पर और मजबूती तथा सक्रियता की जरूरत है. क्षेत्रीय मंत्रियों को भी सिर्फ अपनी विधानसभा तक ही सीमित और सक्रिय रहने की बजाय प्रदेश स्तर पर सक्रिय होने की जरूरत है. इस संभाग से मुख्यमंत्री के अतिरिक्त 5 मंत्री प्रदेश मंत्रिमंडल की शोभा बढ़ा रहे हैं. इनसे कार्यकर्ताओं और आमजनता को काफी अपेक्षाएं रहती हैं, लेकिन स्थिति इसके विपरीत ही दिखाई दे रही है. इस संदर्भ में रायपुर संभाग की स्थिति कुछ बेहतर है.. यद्यपि बिलासपुर और सरगुजा के संभागीय सम्मेलनों में कांग्रेस ने अपनी एकजुटता दिखाकर कार्यकर्ताओं में जोश भरा है और इसका सकारात्मक संदेश आम जनता के बीच भी गया है. इस दौरान रायगढ़ में आयोजित राष्ट्रीय रामायण मेला के सफल आयोजन ने न केवल मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बल्कि छत्तीसगढ़ सरकार को भी नई चमक प्रदान की है. इस आयोजन से इस क्षेत्र की जनता में कांग्रेस सरकार के प्रति आकर्षण और विश्वास का भाव देखने को मिल रहा है. वैसे फौरी तौर पर देखा जाए तो अकेले मुख्यमंत्री ही संगठित और आक्रामक भाजपा के सामने पूरे दम- खम के साथ खड़े दिखाई देते है. यदि मंत्रिमंडल के सहयोगी और संगठन के पदाधिकारी भी अपनी पूरी क्षमता के साथ मैदान में उतरें तो निश्चित ही कांग्रेस को सफलता मिलेगी.
छत्तीसगढ़ की राजनीति में आम आदमी पार्टी (आप) सर्व आदिवासी समाज और जोगी कांग्रेस अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास कर रहे हैं. पिछले चुनाव में जोगी कांग्रेस ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी थी लेकिन इसके मुखिया अजीत जोगी के देहावसान के बाद पार्टी अस्तित्वहीन हो गई. आज जोगी कांग्रेस के विधायक कांग्रेस व भाजपा में जगह तलाश रहे हैं. आम आदमी पार्टी ने प्रदेश की राजनीति में नया- नया प्रवेश किया है लेकिन जमीनी स्तर पर उसका प्रभाव न के बराबर है. यही स्थिति सर्वआदिवासी समाज की है. अरविंद नेताम जैसे कालातीत हुए नेताओं के सहारे यह संगठन आदिवासी समाज को आकर्षित करने में शायद ही सफल हो. वैसे नक्सली वारदातों पर नियंत्रण, तेंदूपत्ता संग्राहकों को अच्छा पारिश्रमिक और लगभग समस्त वनोपज की खरीदी के साथ ही मिलेट्स उत्पादन को प्रोत्साहन देकर भूपेश सरकार ने आदिवासी- वनवासी समुदाय के बीच अपनी गहरी पैठ बना ली है. इसका लाभ कांग्रेस को मिलने की प्रबल संभावना है. प्रदेश में कोई भी तीसरी राजनैतिक शक्ति नहीं दिखाई देती जो विधानसभा चुनाव को प्रभावित कर सके. असल जोर आजमाइश कांग्रेस और भाजपा के बीच ही होनी है.