
गजेन्द्र वर्मा
पुन्नूलाल मोहले भाजपा के वह नेता हैं जिन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं हारा. सीधे सपाट लहजे में दिल की बात कहने वाले मोहले को उनके चुनाव क्षेत्र मुंगेली में खूब पसंद किया जाता है. वे उन नेताओं में से हैं जो अपने दीर्घ राजनीतिक जीवन में जनता से कभी दूर नहीं रहे. यही कारण रहा कि जब 2018 के चुनाव में भाजपा ने अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन किया, तब भी वे अपनी सीट बचा ले जाने में सफल रहे. उन्होंने बखूबी निर्वहन भी किया. 70 वर्षीय श्री मोहले सम्प्रति भाजपा के कोर ग्रुप के सदस्य हैं.
श्री मोहले का जन्म 2 जनवरी, 1952 को बिलासपुर जिले के ग्राम दशरंगपुर में हुआ. पांच बार विधायक और चार बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले श्री मोहले ने 2018 के चुनाव में अपनी दसवीं जीत दर्ज की. वे सात हजार 876 मतों की लीड से छठवीं बार विधायक चुने गए. यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण थी कि भाजपा इस चुनाव में 48 सीट से गिरकर 15 सीटों पर सिमट गई थी. एक और सीट भाजपा ने इसके बाद उपचुनाव में गंवा दी.
सम्प्रति उन्हें छत्तीसगढ़ भाजपा की कोर ग्रुप का सदस्य बनाया गया है. कोर ग्रुप में उनके अलावा विष्णुदेव साय, डॉ रमन सिंह, धरमलाल कौशिक, सरोज पांडेय, रेणुका सिंह, रामविचार नेताम, विक्रम उसेंडी, अरुण साव, बृजमोहन अग्रवाल, पवन साय, गौरीशंकर अग्रवाल और केदार कश्यप शामिल है.
करियर ग्राफ
श्री मोहले का सार्वजनिक जीवन 1966 से प्रारंभ हुआ जब उन्हें गुरू घासीदास विश्वविद्यालय की कोर्ट का सदस्य बनाया गया. इसके अलावा उन्हें हिन्दी सलाहकार समिति में भी लिया गया. सक्रिय राजनीति में उनका प्रवेश 1977-78 में हुआ जब उन्हें ग्राम पंचायत सोढार का सरपंच चुन लिया गया. इसी दौरान वे दशरंगपुर शाला विकास समिति के अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ सतनामी कल्याण समिति तखतपुर के उपसचिव भी चुने गए. 1983-84 में ग्राम पंचायत दशरंगपुर के सरपंच तथा जनपद पंचायत के सदस्य चुने गए.
1985 में श्री मोहले पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर मध्यप्रदेश विधानसभा में पहुंचे. इसके बाद 1990, 1994, 2008, 2013 एवं 2018 में भी उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की. 1996 से 2008 के बीच वे लोकसभा के लिए लगातार चुने जाते रहे. उन्होंने 1996, 1998, 1999 और फिर 2004 में चौथी बार लोकसभा का चुनाव जीता. 1996 में पहली बार लोकसभा पहुंचे श्री मोहले को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पर्यावरण और वन संबंधी समिति का सदस्य बनाया गया. 1997 में भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने. 1998 में उन्होंने लोकसभा की उद्योग संबंधी समिति, कोयला मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति, हिन्दी सलाहकार समिति एवं जल भूतल परिवहन मंत्रालय का सदस्य बनाया गया.
यह उनकी जिजीविषा एवं कर्मठता का ही प्रतिफल था कि उन्हें इतने विस्तृत क्षेत्र में काम करने का अवसर दिया गया. 1999 में उन्हें पेट्रोलियम एवं रसायन संबंधी समिति का सदस्य बनाया गया. 2000 में वे खान एवं खनिज मंत्रालय परामर्शदात्री समिति के सदस्य बनाए गए. 2004 में उन्हें लोकसभा की रसायन एवं उर्वरकों संबंधी समिति, संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना संबंधी समिति एवं कोयला मंत्रालय की परामर्शदात्री समिति का सदस्य बनाया गया. पार्टी संगठन में भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारियां दी गईं. उन्हें भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा का प्रमुख तथा छत्तीसगढ़ भाजपा का उपाध्यक्ष बनाया गया.
2008 में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद उन्हें खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, ग्रामोद्योग एवं बीस सूत्रीय कार्यक्रम का मंत्री बनाया गया. 2013 में चुनी गई सरकार में भी उनके पास ये विभाग बने रहे. 2015 में इसके साथ ही योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी के विभागों को और जोड़ दिया गया.
श्री मोहले का यह सफर कठिन चुनौतियों से भरा रहा है. वे जिस क्षेत्र से आते हैं वह प्रदेश का एक अत्यंत पिछ़ड़ा इलाका है. यह वही क्षेत्र है जहां से सर्वाधिक कृषि मजदूरों का पलायन होता रहा है. मोहले अनुसूचित जाति से आते हैं. इस जाति के लोग ही सर्वाधिक पिछड़े व गरीब है. उनसे बातचीत के संपादित अंश यहां प्रस्तुत किये जा रहे हैं जिससे उनके तेवरों और साफगोई की झलक मिलती है –
प्रश्न – आप एक अत्यंत पिछ़ड़े इलाके से आते हैं जहां अधिकांश जनता गरीब है. आपने अपने कार्यकाल में इनके लिए क्या किया?
मोहले – देखिए, सवाल यह नहीं है कि हमने क्या किया. सवाल यह है कि जनता क्या चाहती है. सबसे पहले इनके माइंडसेट को समझने की जरूरत है. भौगोलिक दृष्टि से यह स्थल ऐसी जगह है कि लोग भी जानते हैं कि यहां क्या हो सकता है और क्या नहीं हो सकता. जो हो सकता है वह हो रहा है. जनता उसे पसंद भी कर रही है.
प्रश्न – राज्य के कई इलाके वर्षाकाल में शेष राज्य से कट जाते हैं. उन तक राशन भी नहीं पहुंच पाता. ऐसे लोगों के लिए आपने क्या किया?
मोहले – यह हमारी प्राथमिकता का क्षेत्र रहा है. बतौर, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हमने उन सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों की पहचान की जो बारिश के दिनों में अलग थलग पड़ जाते हैं. प्रदेश के 19 जिलों में 191 ऐसी दुकानें हैं जिन तक मॉनसून के दौरान पहुंचना मुश्किल हो जाता है. ऐसी सर्वाधिक 31 दुकानें गरियाबंद जिले में तथा 25 दुकानें कांकेर जिले में आती हैं. हमने समय रहते वहां प्रर्याप्त मात्रा में अनाज भंडारण कराना शुरू किया.
प्रश्न – आरोप हैं कि आपके कार्यकाल में गांव में सीसी रोड तो बनीं किन्तु नालियां नहीं बनाई गईं.
मोहले – नालियों की जरूरत ही नहीं महसूस की गई. वर्षाजल वहां अपने आप ही बहकर निकल जाता है. राशि के बेहतर उपयोग किया गया.
प्रश्न – आपके कार्यकाल में करोड़ों का धान खुले में सड़ गया और विभाग ने कुछ नहीं किया.
मोहले – यह सही नहीं है. गुणवत्ता और रेट को लेकर धान की नीलामी नहीं हो पाई थी. दोबारा नीलामी निकालनी पड़ी थी.